नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बढ़ रहा भालू का कुनबा जयपुर. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में भालू के सफल प्रजनन ने वन्यजीव प्रेमियों को खुश कर दिया है. यहां साल 2020 में मादा भालू झुमरी ने एक बच्चे को जन्म दिया था, जिसका नाम गणेश रखा गया था. इसके बाद साल 2021 में झुमरी ने दो बच्चों को जन्म दिया, जिनका नाम कार्तिकेय और कावेरी रखा गया. अब यह सभी एक साथ एंक्लोजर में नजर आ रहे हैं. जाहिर है कि किसी भी बायोलॉजिकल पार्क में भालू के प्रजनन और वंश वृद्धि को लेकर किए गए प्रयासों में जयपुर का योगदान अहम है. इसी कड़ी में साल 2024 में एंक्लोजर में एक साथ पांच भालू सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं.
पांच भालू एक साथ देखकर पर्यटक रोमांचित: वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉक्टर अरविंद माथुर ने बताया कि राजस्थान में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में स्लॉथ बियर यानी भालू का सफल प्रजनन तीसरी बार हुआ है. यहां साल 2020 में दूसरी बार भालू का सफल प्रजनन हुआ था. इसके पहले भी भालू के एक बच्चा हुआ था, जिसका नाम गणेश रखा गया था. वहीं 2021 में भालू के दो बच्चे हुए, जिनका नाम कार्तिकेय और कावेरी रखा गया. इस तरह से भालू की फैमिली में पांच वन्यजीव हो गए हैं.
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5 भालूओं को एक साथ एंक्लोजर में छोड़ा गया है. राजस्थान के किसी भी चिड़ियाघर या पार्क में भालू की वंश वृद्धि पर गौर किया जाए, तो नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ही भालू के सफल प्रजनन में कामयाबी मिली है. नाहरगढ़ पार्क में पांच भालू एक साथ डिस्प्ले में छोड़े गए हैं. पांच भालू एक साथ देखकर पर्यटक भी रोमांचित हो रहे हैं. भालू फैमिली की अठखेलियां पर्यटकों को काफी आकर्षित कर रही हैं.
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इंडियन वुल्फ का भी सफल प्रजनन: इसके अलावा नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में इंडियन वुल्फ का भी सफल प्रजनन हुआ है. देश के विभिन्न चिड़ियाघरों में इंडियन वुल्फ की काफी डिमांड रहती है. एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत इंडियन वुल्फ के बदले दूसरे वन्यजीव आसानी से मिल जाते हैं. वुल्फ के बदले एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत कई वन्यजीव नाहरगढ़ पार्क में ले जा चुके हैं. आने वाले समय में भी वुल्फ का सफल प्रजनन होगा और वन्यजीव एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत लाए जा सकेंगे. इसके अलावा चौसिंगा का भी सफल प्रजनन हुआ है. यहां क्रोकोडाइल का भी सफल प्रजनन हुआ है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के अलावा राजस्थान के किसी भी पार्क में क्रोकोडाइल का सफल प्रजनन नहीं हुआ है.
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हिप्पोपोटेमस का सफल प्रजनन: हिप्पोपोटेमस का जोड़ा दिल्ली चिड़ियाघर से लाया गया था, जिसका प्रदेश में पहली बार वर्ष 2020 में सफल प्रजनन नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में हुआ था. जिसमें मादा हिप्पो का जन्म हुआ था. एक बार फिर हिप्पो जोड़े में ब्रीडिंग का प्रयास किया जा रहा है.आने वाले समय में हिप्पो का भी सफल प्रजनन होने की उम्मीद है. अन्य कई वन्यजीवों के भी सफल प्रजनन होने की उम्मीद है.
आने वाले समय में भी होंगे सफल प्रजनन: उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में नए वन्यजीव आएंगे. पिछले दिनों लायन सफारी के लिए एक एशियाटिक लायन का जोड़ा लाया गया था. उम्मीद है कि लायन का भी सफल प्रजनन हो. यहां रॉयल बंगाल टाइगर के भी सफल प्रजनन का प्रयास किया जा रहा है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क का वन्यजीवों के सफल प्रजनन के साथ ही वन्यजीवों के संरक्षण में अहम योगदान रहा है.
मौसम के अनुसार डाइट में भी परिवर्तन: नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में सभी वन्यजीवों का मौसम के अनुसार डाइट में भी परिवर्तन किया गया है. शाकाहारी वन्यजीवों को रूटिंग चारा के साथ दाल खिलाई जा रही है. इसके साथ ही गाजर भी खिलाई जा रही है. टाइगर, लायन, लेपर्ड समेत सभी बिग केट्स को मीट के साथ-साथ उन्हें चिकन और अंडा खिलाए जा रहे हैं. स्लॉथ बियर यानी भालू को दूध, अंडे और पिंड खजूर डाइट में दिया जा रहा है. मगरमच्छ और घड़ियाल को भी विशेष डाइट दी जा रही है.
वन्यजीवों को सर्दी से बचने के लिए विशेष इंतजाम: नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के क्षेत्रीय वन अधिकारी नितिन शर्मा ने बताया कि वन्यजीवों को सर्दी से बचने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. एंक्लोजरस के अंदर हीटर लगा दिए गए है. खिड़की और दरवाजों पर पर्दे लगाए गए हैं. डाइट में भी बदलाव किया गया है.