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Special : विधायकों की चली तो अपनों को ही बना दिया प्रधान और जिला प्रमुख का दावेदार

राजस्थान में जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव होने हैं. इन चुनावों पर भी राजनीतिक परिवारवाद का साया नजर आ रहा है. विधायक तो विधायक, मंत्रियों ने भी अपने बेटे-बहुओं और रिश्तेदारों को प्रधान और जिला प्रमुख का दावेदार बनाकर मैदान में उतार दिया है. बीकानेर के खाजूवाला से विधायक गोविंद राम मेघवाल की तो पत्नी, बेटा, बहू सब चुनावी दंगल में उतर चुके हैं. ऐसे में वर्षों तक पार्टी का झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता खुद को ठगा सा मसहूस करते हैं.

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राजस्थान में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं

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Published : Nov 13, 2020, 8:12 PM IST

Updated : Nov 15, 2020, 5:18 PM IST

जयपुर. राजनीति में परिवारवाद भले की आम झंडाबरदार के आंख की किरकिरी हो, लेकिन सत्ता की मलाई चखने के बाद अक्सर होता यही है कि कुशल राजनेता अपनी पीढ़ियों का इंतजाम करने के लिए अपनों को आंख मींचकर टिकट दिलाता है और सपरिवार सत्ता-सुख लेना चाहता है. प्रदेश में गांव-कस्बों में चुनाव होने हैं. जिला परिषद और पंचायत समिति के इन चुनावों पर परिवारवाद का साया साफ नजर आ रहा है. इन चुनावों में टिकट बांटने में विधायकों का सिक्का चल रहा है. विधायकों यहां तक कि मंत्रियों तक ने इस सुविधा का लाभ उठाते हुए अपने ही परिजनों को प्रधान और जिला प्रमुख का दावेदार बना दिया है.

राजस्थान में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं. गांव-कस्बों के आम कार्यकर्ता बरसों पार्टी का झंडा उठाते हैं. कतार में सबसे पीछे छूटे आदमी का खयाल रखते हैं, हाल-चाल पूछते हैं. जिला मुख्यालय से राजधानी तक का चक्कर लगाते हैं. विधायकों और मंत्रियों के आगे-पीछे घूमते हैं. इन्हीं समर्पित कार्यकर्ताओं को भरोसे कोई पार्टी ग्राउंड लेवल पर मजबूत होती है. लेकिन जब टिकट बांटने की बारी आती है. तो नेताजी का परिवार फेहरिस्त में सबसे आगे खड़ा नजर आता है.

जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस का परिवारवाद

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जिला परिषद और पंचायत समिति के सदस्यों के तौर पर मंत्रियों और विधायकों ने अपने परिजनों को जमकर टिकट नवाजे हैं. ताकि उनके क्षेत्र में अगर कांग्रेस का बहुमत आये तो प्रधान और जिला प्रमुख भी उनके ही परिवार के सदस्य बनें. ऐसे में कांग्रेस के राज में जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव पर पूरी तरह परिवारवाद का साया नजर आ रहा है.

इन मंत्रियों के रिश्तेदार चुनावी मैदान में

इन मंत्रियों के परिजन हैं चुनावी मैदान में...

बांसवाड़ा से ताल्लुक रखने वाले मंत्री अर्जुन बामनिया के बेटे विकास बामनिया चुनावी मैदान हैं, चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा से चुनकर आए विधायक और मंत्री उदयलाल आंजना के भाई मनोहर आंजना भी चुनावी ताल ठोक रहे हैं. वहीं मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की पत्नी केसर देवी तो निर्विरोध पंचायत समिति की सदस्य बन चुकी हैं.

इन विधायकों के परिजन हैं चुनावी मैदान में...

मंत्रीजी तो मंत्रीजी, अपनों को टिकट दिलाने में विधायक भी पीछे नहीं है, बीकानेर से आने वाले विधायक गोविंद राम मेघवाल ने तो रिकॉर्ड ही तोड़ दिया है. बेटा, बेटी और पत्नी सभी चुनावी दंगल में डटे हैं, बेटा गौरव, बेटी सविता और पत्नी आशा देवी चुनाव लड़ रहे हैं.

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झुंझुनूं से सीनियर विधायक ब्रजेन्द्र ओला के बेटे अमित ओला भी चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा सचिन पायलट के साथ मिलकर बगावत करने वाले सरदारशहर से विधायक भंवरलाल शर्मा की पत्नी मनोहरी देवी चुनाव लड़ने जा रही हैं. इस फेहरिस्त में बांसवाड़ा के बागीदौरा से बाहुबली विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने अपनी पत्नी रेशम मालवीय को मैदान में उतार है. रेशम पहले भी जिला प्रमुख रह चुकी हैं.

खेल से राजनीति में आने वाली विधायक कृष्णा पूनिया के देवर की पत्नी भी चुनावी मैदान में तकदीर आजमा रही हैं. इसके अलावा झुंझुनूं के मंडावा से विधायक रीटा चौधरी की मां और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामनारायण चौधरी की पत्नी परमेश्वरी देवी भी चुनाव लड़ रही हैं. परमेश्वरी देवी झुंझुनू जिला परिषद के वार्ड नंबर चार से चुनाव लड़ रही हैं. उनके सामने भारतीय जनता पार्टी ने मैदान ही छोड़ दिया और कोई भी अधिकृत प्रत्याशी उनके सामने नहीं उतारा है.

वार्ड नंबर 4 का इलाका लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहा है. ऐसे में उनकी जीत लगभग जिला परिषद सदस्य के रूप में तय मानी जा रही है. यह भी लगभग तय माना जा रहा है कि जिला प्रमुख की दावेदार भी परमेश्वरी देवी ही होंगी. वहीं खंडेला से विधायक महादेव खंडेला के बेटे और बहू दोनों चुनावी ताल ठोक रहे हैं. खंडेला के बेटे डॉ. गिर्राज और पुत्रवधू मीनाक्षी चुनावी मैदान में हैं.

Last Updated : Nov 15, 2020, 5:18 PM IST

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