जयपुर. वसंत ऋतु आते ही एक नयापन का एहसास होने लगता है. नित नूतन परिर्वतन देखने को मिलते हैं. होलकोत्सव का आगाज होने से पहले प्रकृति का इतना खूबसूरत रुप शायद ही कभी दिखा हो. हर शाम एक दिल को छूने वाला एहसास दे जाती है. ऐसा नजारा शायद कम ही दिखने को मिलता है कि चांद की चांदनी के आगे सूरज किरणें फीकी पड़ जाएं.
पतझड़, सावन, बसंत, बहार. ऋतुओं का ये क्रम ऐसे ही नहीं रखा गया. बसंत एक ऐसी अवधि है जिसे हम प्रकृति की किशोर अवस्था मानते हैं. ऐसे में प्रकृति का यौवन चरम पर होता है. आपकी निगाहें जिधर भी जाएं निर्जीव से लेकर सजीव तक सभी चीचों में एक नया बदलाव दिखता है. पेड़ पौधों में नई कोपलें आने लगती हैं. तो आम और नीम के पेड़ों में फूल दिखते हैं. खेतों में सरसों के लहलहाते पीले पुष्प तो प्रकृति खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं.