जयपुर. छोटी काशी का ताड़केश्वर महादेव मंदिर मुख्य बाजार में स्थित महादेव का यह मंदिर जहां पहले कभी श्मशान की भूमि हुआ करती थी. माना जाता है कि बहुत समय पहले अंबिकेश्वर मंदिर के व्यास, सांगानेर जा रहे थे. यहां से गुजरते वक्त विश्राम करने के लिए वह यहां कुछ क्षण रुके भी थे. तभी पहली बार उन्होंने यहां एक शिवलिंग देखा. जयपुर की जब नींव रखी जा रही थी. उस वक्त रियासत के वास्तुविद विद्याधर की बेटी ने इस मंदिर को भव्य रुप दिया. भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाने पर वह 51 किलो दूध-घी से जलाभिषेक किया जाता है.
सावन के दूसरे सोमवार को ताड़केश्वर महादेव के दरबार में उमड़ा भक्तों का सैलाब - Deep faith
जयपुर में सावन के दूसरे सोमवार को मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ा. बम बम भोले के जयकारों से मंदिर गूंज उठे. ऐसे में छोटी काशी के ताड़केश्वर महादेव मंदिर में भी शिव भक्तों ने शिवलिंग का अभिषेक किया.
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जानकारी के अनुसार ताड़केश्वर महादेव को पहले ताड़कनाथ के नाम से जाना जाता था. पौराणिक मान्यता यह है कि यह शिवलिंग स्वयंभू स्थापित है. यहीं कारण है कि इनमें लोगों की गहरी आस्था है. सावन जैसे पवित्र महीने में भक्तों का हुजूम उमड़ा रहता है और भक्तों की मांगी गई मुरादों भी पूरी होती है. दूसरे सोमवार को कई शुभ संयोग बनने की वजह से यहां और भी भक्तों का जत्था उमड़ा हुआ हैं. इस सोमवार को सोम प्रदोष, प्रदोष व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संकेत बन रहा है. जिसके चलते मंदिरों में भक्त, दान,योग, ध्यान, मंत्र, साधना करते नजर आ रहे है.