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गहलोत सरकार की नाक के नीचे...डॉक्टर मोबाइल भरोसे, मरीज भगवान भरोसे

राजधानी जयपुर के एक सरकारी अस्पताल में आजकल मरीज अपने हाथों में मोबाइल थामे डॉक्टर के पास पहुंचते हैं और वो मोबाइल उन्हें थमा देते है. इसके बाद डॉक्टर उसे देखकर सही फोटो होने की स्थिति में मरीज का उपचार करते हैं. यह हालात हैं जयपुरिया अस्पताल के. दरअसल, यहां एक्स-रे का प्रिंट देने के लिए बीते 2 माह से एक्स-रे फिल्म नहीं है.

सरकार की नाक के नीचे सरकारी अस्पताल ही पड़ा है बीमार

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Published : Jun 11, 2019, 10:29 PM IST

Updated : Jun 11, 2019, 11:04 PM IST

जयपुर. प्रदेश में आमजन को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करने वाली प्रदेश की गहलोत सरकार के कार्यकाल में सरकारी अस्पताल खुद ही बीमार नजर आ रहे हैं. हालात ये है कि राजधानी जयपुर में जहां पूरी सरकार रहती है, वहां के ही राजकीय जयपुरिया अस्पताल में बीते डेढ़ महीने से भी अधिक समय से एक्सरे का प्रिंट देने के लिए एक्सरे फिल्म तक नहीं है. जिसके चलते डॉक्टर्स भी अंदाजे से ही मरीजों का उपचार कर रहे हैं तो वहीं एक्स-रे कराने वाले मरीज कंप्यूटर स्क्रीन पर एक्स-रे की फोटो मोबाइल से खींचकर डॉक्टर्स को दिखाने को मजबूर है.

गहलोत सरकार के राज में खुद बीमार है सरकारी अस्पताल

अब यदि मोबाइल फोटो सही है तो उपचार सही हो जाएगा. वरना मरीज का मर्ज ठीक होने की जिम्मेदारी भगवान भरोसे ही है. आप ही देखिए, किस तरह जयपुरिया अस्पताल में मरीज का एक्स-रे करने के बाद उनके ही मोबाइल पर उसका फोटो खींचकर डॉक्टर्स को दिखाने की सलाह दे रहे हैं ये कर्मचारी और परेशान हो रहे हैं मरीज.

मरीज परेशान, डॉक्टर्स बोले - अंदाजे से कर रहे उपचार

अस्पताल में एक्स-रे करने वाले रेडियोग्राफर्स ने तो एक्सरे फिल्म नहीं होने का हवाला देकर मरीज के मोबाइल का सहारा लिया, लेकिन अस्पताल के डॉक्टर्स को कई बार मोबाइल से ली गई एक्स-रे की फोटो में मरीज का मर्ज सही तरीके से पकड़ में नहीं आता तो वह वापस मरीज को एक्स-रे रूम भेज देते हैं. जहां मरीज को कंप्यूटर स्क्रीन पर वापस एक्स-रे की मोबाइल फोटो लेना पड़ती है. ऐसे में मरीज का भी सरकारी अस्पताल से विश्वास उठना लाजमी है और हो भी ऐसा ही रहा है.

अस्पताल अधीक्षक ने स्वीकारा - फण्ड नहीं, मंत्री को भी है जानकारी

दरअसल, जयपुरिया अस्पताल में यह हालात आज के नहीं बल्कि बीते डेढ़ से दो माह पूर्व से चल रहे हैं और इसका मुख्य कारण है सरकार से फंड का नहीं मिल पाना. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब अस्पताल अधीक्षक डॉ. रेखा सिंह से इस बारे में जानकारी ली तो उन्होंने कैमरे के पीछे इस बात को स्वीकार किया. उनके अनुसार सरकार से बजट नहीं मिल पाने के कारण करीब दो करोड़ रुपए का भुगतान अस्पताल को विभिन्न सामानों का करना है. यही कारण है कि फंड की कमी के चलते एक्स-रे फिल्म भी नहीं खरीद पा रहे.

डॉ. रेखा सिंह ने बताया कि कुछ दिनों पहले इसकी जानकारी चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को भी दे दी गई हैं. खैर, अस्पताल अधीक्षक की अपनी मजबूरी है, लेकिन विपक्ष के रूप में भाजपा इसे एक अपराधिक कृत्य करार दे रही है. पूर्व चिकित्सा मंत्री और भाजपा विधायक दल के मौजूदा उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के अनुसार जब राजधानी के सरकारी अस्पतालों में ये हालात हैं तो अन्य जिले और ग्रामीण इलाकों में सरकारी अस्पतालों के क्या हालात होंगे, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.

बहरहाल, अस्पताल अधीक्षक डॉ. रेखा सिंह की मानें तो चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को भी इसकी जानकारी है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि जब विभाग की मुखिया जयपुरिया अस्पताल के हालातों से वाकिफ है तो अब तक इसके समाधान को लेकर कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया.

Last Updated : Jun 11, 2019, 11:04 PM IST

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