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इस्लामिक साल के पहले महीने की 10 तारीख को मनाया गया मोहर्रम का त्योहार - जयपुर मोहर्रम का त्योहार

देश भर में मंगलवार को मोहर्रम का त्योहार मनाया गया. इस मौके पर ताजियों का जुलूस भी निकाला गया. और कहीं-कहीं पर महफिले मिलाद भी आयोजित किया गया. आखिर यह त्योहार क्यों मनाया जाता है. इस त्योहार के पीछे वजह क्या है इसके बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची जयपुर के सुभाष चौक इलाके में.

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Published : Sep 10, 2019, 3:02 PM IST

जयपुर.देश भर में मंगलवार को मोहर्रम का त्योहार मनाया गया. इस मौके पर ताजियों का जुलूस भी निकाला गया. इस त्योहार को मनाने का कारण जानने ईटीवी की टीम जयपुर के सुभाष चौक इलाके में पहुंची. जहां पर मजलिस का एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मजलिस के कार्यक्रम में एक मौलाना ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन जो नबी सल्लल्लाहो ताला वसल्लम के नवासे थे.

देश भर में मंगलवार को मोहर्रम का त्योहार मनाया गया

उन्होंने सच्चाई के लिए अपनी जान माल और सभी चीजों को कुर्बान कर दिया था. यहां तक कि उस कर्बला के मैदान में अपने मासूम बच्चों तक को जिसमें एक 6 महीने का बच्चा भी शामिल था उसको भी कुर्बान कर दिया था. लेकिन सच्चाई को उन्होंने स्वीकारा और झूठ के सामने अपने सर को झुकने नहीं दिया और उन्होंने उस वक्त इस्लाम की हिफाजत की जब उन्हें 3 दिन तक भूखा प्यासा रखा गया था. मौलाना ने बताया कि इस्लामिक साल के पहले महीने की 9 और 10 तारीख और रोजा रखने का सवाब काफी ज्यादा गुना तक बढ़ा दिया जाता है.

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उन्होंने बताया कि उस वक्त कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन ने एक भी नमाज को कसा नहीं होने दिया और उसे कर्बला के मैदान में जहां पर तपती हुई रेगिस्तान है वहां पर नमाज अदा की और कुर्बान होने तक अल्लाह की बारगाह में नमाज पढ़ी और यह पैगाम दिया कि झूठ के सामने कभी झुको मत हमेशा सच्चाई का साथ दो.

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