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प्रदेश के आठ लाख कर्मचारी सरकार से नाखुश, अब दो-दो हाथ की तैयारी - Employees Federation will submit memorandum to Chief Minister

प्रदेश के आठ लाख कर्मचारी गहलोत सरकार से एक बार फिर दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. बता दें कि कर्मचारी महासंघ का प्रतिनिधि मंडल सोमवार को मुख्यसचिव और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मांगों को पूरा करने के लिए ज्ञापन देगा. जिसके बाद अगर सकारात्मक रुख नजर नहीं आता है तो कर्मचारी महासंघ बड़े आंदोलन की रुपरेखा को तैयार करेगा.

कर्मचारी महासंघ का प्रतिनिधि मंडल, Staff Federation Delegation

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Published : Nov 8, 2019, 6:57 PM IST

जयपुर. प्रदेश के आठ लाख कर्मचारी गहलोत सरकार से एक बार फिर दो दो हाथ करने को तैयार है. 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता और वेतन कटौती बंद करने सहित 11 सूत्री मांगों को लेकर राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार समय रहते उनकी मांगों पर फैसला नहीं करती है, तो फिर आंदोलन किया जाएगा.

कर्मचारी महासंघ का प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से करेगा मुलाकात

कर्मचारी महासंघ का प्रतिनिधि मंडल सोमवार को मुख्यसचिव और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मांगों को पूरा करने के लिए ज्ञापन देगा. जिसके बाद अगर सकारात्मक रुख नजर नहीं आता है तो बड़े आंदोलन की रुपरेखा तय की जाएगी.

कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार को वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्यसचिव से मुलाकात कर जुलाई 2019 से बढ़े 5 प्रतिशत महंगाई भत्ते के आदेश को शीघ्र जारी करने की मांग की थी. साथ ही महासंघ ने राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स की वेतन कटौती को भी बंद करने की मांग की.

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राठौड़ ने बताया कि एसीएस फाइनेंस कर्मचारियों की मांगों को जायज बताते हुए सकारात्मक रुख दिखाया है और मुख्यमंत्री से बात करने का आश्वासन दिया है. लेकिन कर्मचारियों को अब आश्वासन नहीं निर्णय चाहिए और इसी लिए मुख्यसचिव डीबी गुप्ता से मिलने का समय लिया था लेकिन समय के अभाव में टाइम नहीं दिया गया.

राठौड़ ने कहा कि महासंघ के प्रतिनिधिति मंडल ने सोमवार को मुख्यसचिव और मुख्यमंत्री दोनों से मिलने का समय मांगा है. अगर सरकार ने मांगों पर सकारात्मक रुख नहीं दिखाया तो प्रदेश के आठ लाख कर्मचारी सड़कों पर उतरेंगे और सरकार से दो-दो हाथ करने पर मजबूर होंगे.

उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपनी जायज मांगों को लेकर सरकार के सामने गुहार लगा रहे हैं. लेकिन जिस तरीके से प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री गहलोत कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने पर कोई विचार नहीं कर रहे है. ऐसे में अब कर्मचारियों के सामने एक ही रास्ता बचता है कि वह अपनी मांगों के लिए आंदोलन करें.

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