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Teacher Recruitment Paper Leak Case: हाईकोर्ट ने निलंबन और बर्खास्तगी आदेश पर नहीं दी राहत, कहा- अब समय आ गया कि...

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Published : May 5, 2023, 6:58 AM IST

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह जानकर दुख हो रहा (Teacher Recruitment Paper Leak Case) है कि आजकल पेपर लीकेज बदमाशों द्वारा नियोजित तरीके से करके समाज में कहर बरपा रहे है. इस तरह के कृत्य से ईमानदार और कड़ी मेहनत करने वाले वास्तविक छात्रों का करियर खतरे में पड़ जाता है.

राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में निलंबन और बर्खास्तगी आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सख्त रूख अपनाते हुए खारिज कर दिया. जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बैंच में याचिकाकर्ता भागीरथ और रावत राम की ओर से विभागीय आदेश को चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि भागीरथ सिरोही में विज्ञान और रावत राम जालौर में संस्कृत के वरिष्ठ अध्यापक पद पर कार्यरत थे. उदयपुर जिले के सुखेर थाना पुलिस ने दोनों को द्वितीय श्रेणी अध्यापक भर्ती पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था. दोनों की गिरफ्तारी के बाद निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर ने 24 दिसम्बर 2022 को एक आदेश से निलम्बित कर दिया. वहीं, संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा विभाग पाली ने 13 जनवरी 2023 को बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए.

सरकार की ओर से हेमन्त चौधरी ने कहा कि पुलिस ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए आयोजित होने वाले पेपर को चलती बस में हल करते हुए 40 लोगों को एक साथ पकडा है जो कि बड़ा मामला है. कोर्ट ने कडे रूख के साथ याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि राज्य में शिक्षक भर्ती के आयोजित होने वाली परीक्षा में याचिकाकर्ता कदाचार में लिप्त, असंवैधानिक और अनैतिक कार्य करते है. ऐसे में किसी तरह की नरमी के पात्र नहीं है.

पेपर लीक में शिक्षकों की संलिप्तता गंभीर चिंता: हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यह जानकर दुख हो रहा है कि आजकल पेपर लीकेज बदमाशों द्वारा नियोजित तरीके से करके समाज में कहर बरपा रहे है. इस तरह के कृत्य से ईमानदार और कड़ी मेहनत करने वाले वास्तविक छात्रों का करियर खतरे में पड़ जाता है और वे पूरी तरह से हतोत्साहित होते है. पेपर लीक में शिक्षकों की संलिप्तता गंभीर चिंता का कारण है.

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कोई सहानुभूति और संदेह का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए: कोर्ट ने यह भी कहा कि अब वह समय आ गया है जब कोई सहानुभूति और संदेह का लाभ याचिकाकर्ताओं जैसे व्यक्तियों को नहीं दिया जाना चाहिए. ऐसे लोगों के साथ लोहे के हाथों से निपटने की आवश्यकता है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास जब वैधानिक अपील दायर करने का वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है ऐसे में याचिकाए खारिज की जाती है. कोर्ट ने कहा कि अपीलीय अधिकारी स्वतंत्र रूप से इस आदेश से प्रभावित हुए बिना गुण दोष के आधार पर जंच करें.

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