जयपुर. पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राहुल-प्रियंका के करीबी माने जाने वाले सुखजिंदर सिंह रंधावा को पंजाब चुनाव में पार्टी ने एआईसीसी की प्रमुख जिम्मेदारी देने का जो वादा किया था, उसे अब पूरा कर दिया गया है. पार्टी ने उन्हें राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया है. लेकिन सीएम गहलोत और पायलट के बीच चल रही कुर्सी की जंग के बीच उनका यह पदभार किसी कांटों के ताज से कम नहीं है. दरअसल, सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब के वह नेता हैं, जिन्होंने गांधी परिवार के कहने पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ झंडा उठाया था. वह खुद भी पंजाब के (Congress reposed faith in Randhawa) मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे, लेकिन पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो कांग्रेस आलाकमान ने न केवल रंधावा को उपमुख्यमंत्री बनाया, बल्कि उनसे तभी यह वादा किया गया था कि उन्हें पार्टी में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी. ऐसे में अब रंधावा को अजय माकन की जगह राजस्थान कांग्रेस का प्रभारी बनाकर एक सत्ताधारी राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
असल में सुखजिंदर सिंह रंधावा को स्पष्टवादी और कठोर निर्णय लेने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है, लेकिन राजस्थान प्रभारी का पद गहलोत और पायलट के बीच चल रही मुख्यमंत्री की कुर्सी की जंग के चलते कांटों के ताज से कम नहीं है. साल 2020 में पायलट की नाराजगी के चलते (Rajasthan Political crisis) प्रभारी अविनाश पांडे और 25 सितंबर, 2022 को राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद गहलोत की नाराजगी के चलते अजय माकन को राजस्थान प्रभारी पद छोड़ना पड़ा. ऐसे में कांग्रेस को पायलट गहलोत के बीच चल रहे द्वंद के चलते ही केवल दो साल में तीसरा प्रभारी बनाना पड़ा है. अब रंधावा इन दोनों नेताओं को कैसे साधते हुए साल 2023 के चुनावी रण में उतरते हैं, यह देखने की बात होगी.