फरीदाबाद/राजस्थान: साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध को कौन भुला सकता है? जब देश के हजारों वीर जवानों ने बॉर्डर पर अपना लहू, पानी की तरह बहा दिया था, मगर मुल्क पर आंच नहीं आने दी. ऐसे ही देश के परवानों में शामिल थे, फरीदाबाद के गांव सोपता के रहने वाले जाकिर हुसैन.
जब किसान का बेटा बॉर्डर पर पहुंचा
शहीद जाकिर हुसैन का जन्म 6 जून 1969 में गांव सोपता में एक किसान परिवार में हुआ. जाकिर हुसैन का परिवार बेहद गरीब सा और उनके पिताजी कृषि से उनका पालन पोषण कर रहे थे. जाकिर हुसैन के दो अन्य भाई भी हैं. जाकिर हुसैन ने अपनी दसवीं तक की पढ़ाई पड़ोस के गांव सीकरी में बने सरकारी स्कूल से की. 1982 में जाकिर हुसैन की शादी रजिया के साथ हुई. शादी के बाद 1988 में जाकिर हुसैन ने फौजी मैं भर्ती कंप्लीट कर ली. जाकिर हुसैन जिस समय फौज में भर्ती हुए उस समय उनकी आयु केवल 19 वर्ष थी. 1999 पाकिस्तान के साथ हुई कारगिल के युद्ध में जाकिर हुसैन शहादत को प्राप्त हुए.
आज भी याद करती है एक पत्नी अपने शौहर को
शहीद जाकिर हुसैन की पत्नी रजिया खान ने बताया कि जाकिर हुसैन शादी के बाद लगातार फौज में जाने को लेकर उनसे चर्चा किया करते थे. एक दिन ऐसा आया जब वह फौज में भर्ती हो गए. जब कारगिल का युद्ध हुआ तो उनको केवल यह सूचना दी गई थी कि जाकिर हुसैन के पैर में गोली लगी है और उनको घर लाया जा रहा है. इस सूचना के करीब एक हफ्ते बाद जिला सैनिक बोर्ड के अधिकारी उनके घर पहुंचे. उन अधिकारियों के साथ जाकिर हुसैन का पार्थिव शरीर था. शहीद जाकिर हुसैन जिस समय शहीद हुए उस समय उनके बड़े बेटे अब्दुल की उम्र 9 साल और पुत्र आरिफ की उम्र 6 साल थी. इसके अलावा उनकी डेढ़ साल की एक बेटी और करीब 3 साल की दूसरी बेटी थी. उनकी पत्नी को 2 महीने उम्मीद से थीं.