नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर क्या बोले शिक्षा मंत्री... जयपुर. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बेहतर तरीके से क्रियान्वयन के लिए अतिक्ति बजट की जरूरत है. इससे स्कूलों में संसाधनों का विकास होगा. नई नीति जारी हुए दो साल हो गए, लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई अतिरिक्त बजट जारी नहीं किया है. केंद्र सरकार 60% खर्च करे, तो राज्य सरकार भी 40% खर्च करेगी. ये कहना है प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला का. बुधवार को नेशनल एजुकेशन पॉलिसी पर मंथन किया गया. इस दौरान एजुकेशन पॉलिसी से जुड़ी इन अपॉर्चुनिटी और चेंजेज को लेकर चर्चा की गई. वहीं मंत्री बीडी कल्ला ने भी पॉलिसी को लेकर अपनी बात रखी.
झालाना स्थित शिवचरण माथुर सोशल पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन किया गया. इस दौरान मंत्री डॉ बीडी कल्ला ने कहा कि नई एजुकेशन पॉलिसी में 5 + 3 + 3 + 4 का सिस्टम बनाया गया है. इस पर पूरी तैयारी की आवश्यकता है. इसे लेकर पहले शिक्षकों को ट्रेंड, इंफ्रास्ट्रक्चर को डवलप और पाठ्यक्रम तैयार करना होगा. उसके बाद इस सिस्टम को प्ले स्कूल से विकसित करना होगा ताकि छात्रों को जॉय फुल एजुकेशन मिल सके.
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उन्होंने कहा कि भारत सरकार को एजुकेशन पॉलिसी बनाए हुए 2 साल हो गए. राजस्थान में भी चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में कमेटी बना दी गई है. जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बना दी गई है. 6 ग्रुप बना दिए गए. लेकिन इस पॉलिसी को लेकर भारत सरकार को फाइनेंसियल मैनेजमेंट करना चाहिए. इसकी अभी कमी है. जिस पर तुरंत ध्यान देने की दरकार है. ताकि नई एजुकेशन पॉलिसी धरातल पर उतारा जा सके. केंद्र सरकार 60% दे, तो राज्य सरकार भी 40% खर्च करेगी.
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उन्होंने बताया कि पहले 12 साल में 12 कक्षाएं पास कर ली जाती थीं. अब इसमें 15 साल लगेंगे. प्राइवेट स्कूलों में जिस तरह एलकेजी यूकेजी, प्रेप क्लास होती है. उसी तर्ज पर बाल वाटिका शुरू हो रही है. साथ में उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि पॉलिसी के तहत व्यवसायिक शिक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इसके साथ ही पॉलिसी से जुड़ी जो परेशानियां सामने आ रही है, उनको भी निस्तारित किया जाना चाहिए.
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इससे पहले सभा को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चों को किताबी ज्ञान ही नहीं देना, उसे व्यवहारिक ज्ञान देना है. साथ-साथ संस्कार भी देना है. तभी अच्छे नागरिक का निर्माण होगा. साथ ही कल्ला ने कहा कि आजकल डिजिटल कंटेट पर जोर है. नई शिक्षा नीति में राष्ट्रीय मूल्यांकन केन्द्र की स्थापना की बात कही गई है. शिक्षकों के लिए मानक बनाए जाने चाहिए. डिजिटल पुस्तकालय होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार योजना बनाती है, लेकिन उसे क्रियान्वित करना मुश्किल है. इसके लिए संसाधनों की आवश्यकता है. नई शिक्षा नीति के तहत अभी किसी भी राज्य को बजट नहीं मिला है. ये मिलना चाहिए. इस दौरान पूर्व आईएएस और शिक्षाविद् प्रदीप बोरड़, राजस्थान सरकार के समसा कमिश्नर एमएल यादव और यूनिसेफ राजस्थान की चीफ इशाबेल बार्डेम ने भी संबोधित किया.