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Right to health Bill पर डॉक्टरों के विरोध पर बोले डोटासरा, मैं मध्यस्थता के लिए तैयार - Protest against Right to Health Bill

राजस्थान में डॉक्टरों के राइट टू हेल्थ बिल को लेकर जारी विरोध पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने डॉक्टरों के साथ चल रही बातचीत में मध्यस्था की बात कही है. डोटासरा ने कहा कि राइट टू हेल्थ समय की मांग है.

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Right to health Bill पर डॉक्टरों के विरोध पर बोले डोटासरा, मैं मध्यस्थता के लिए तैयार

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Published : Mar 27, 2023, 11:32 PM IST

डोटासरा चिकित्सकों के आंदोलन में मध्यस्थता करने को तैयार

जयपुर. राजस्थान में डॉक्टरों का राइट टू हेल्थ बिल को लेकर विरोध जारी है. इसी बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने डॉक्टरों के साथ चल रही बातचीत में मध्यस्था की बात कही है. डोटासरा ने कहा कि राइट टू हेल्थ समय की मांग है. आम आदमी को यह अधिकार मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब राइट टू फूड, राइट टू एजुकेशन, राइट टू वर्क आ गया, मनरेगा के रूप में तो राइट टू हेल्थ और सोशल सिक्योरिटी के लिए मुख्यमंत्री भी कह रहे हैं. इसी नियम को लेकर हम राइट टू हेल्थ आए हैं. ऐसे में अगर डॉक्टरों को किसी बात से असहमति है तो बैठ कर बात की जा सकती है.

सरकार उनकी बात को सुनने को तैयार है, लेकिन डॉक्टर 5 मिनट के लिए जाते हैं और अपनी बात कहकर वापस आ जाते हैं. यह रवैया ठीक नहीं है. डोटासरा ने कहा कि डॉक्टरों को हठ छोड़कर अपनी बात कहनी चाहिए, क्योंकि सरकार उनकी बातों को सुनने को तैयार है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि डॉक्टर्स भी धैर्यपूर्वक बात करने को तैयार हों. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आमजन को राइट टू हेल्थ मिलना चाहिए. इसमें डॉक्टरों को सहयोग करना चाहिए.

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अगर किसी तरीके की ग्रीवेंस इसमें है तो डॉक्टरों को बातचीत करनी चाहिए, न कि आंदोलन. उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि डॉक्टर अपनी समस्या बताएं, ताकि उसका समाधान निकाला जा सके और जहां तक बात राइट टू हेल्थ बिल को लेकर है तो ये आम जनता के लिए है. वहीं, डोटासरा ने यह भी कहा कि फीडबैक यही आ रहा है कि कुछ लोगों ने इसे हाईजैक कर लिया है. वो इस कानून को समझने के लिए तैयार नहीं है. लेकिन एक बात उनके तक आई थी कि सब कुछ नियमों पर छोड़ दिया गया है. खैर, मैं मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह करूंगा कि नियमों को लेकर जो भ्रांतियां हैं, उसको बैठकर दूर किया जाए.

डोटासरा ने आगे कहा कि इस मामले में न तो सरकार अडामेंट है और न ही डॉक्टरों को रहना चाहिए. डॉक्टर भगवान नहीं हैं, लेकिन भगवान का रूप माने जाते हैं. ऐसे में अगर किसी मरीज की जान चली जाती है और वो भी इलाज के अभाव में तो यह हमारे लिए नहीं, बल्कि उनके लिए भी दुखदाई होगी.

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