जयपुर.आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस है. स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस को इंगित करने वाला यह दिन हमारे देश में हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है. इसी दिन भारतीय प्रेस परिषद ने एक नैतिक प्रहरी के रूप में कार्य करना शुरू किया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रेस उच्च मानक बनाए रखे और किसी भी प्रभाव या धमकियों से प्रभावित न हो. साल 1966 से लगातार मनाए जाने वाले प्रेस दिवस के इस खास मौके पर इस वर्ष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में मीडिया थीम रखी गई है. आज की दौड़ में प्रेस की सत्यता निष्पक्षता और सटीकता को कसौटी पर रखा जाता है, दुनिया के मुकाबले भारत में प्रेस की क्या स्थिति है, इस पर टॉक जर्नलिज्म के संस्थापक अविनाश कल्ला के साथ ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की.
भारत में प्रेस के लिए कई चुनौतियां :ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अविनाश कल्ला ने कहा कि हमारे देश में आर्थिक मोर्चे पर मीडिया के हालात चुनौतीपूर्ण हैं. ऐसे में विश्वभर के प्रेस जगत को भी देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के मायने सरकारों से जोड़कर देखे जाते हैं, क्योंकि प्रेस अपने उपार्जन के लिए सरकारी सिस्टम पर ही निर्भर रहती है. अविनाश कल्ला ने कहा कि प्रेस के लिए पूरी दुनिया में हालत चिंता पूर्ण हैं, लेकिन इस दिशा में भारत को अपनी रैंकिंग के लिहाज से सोचना बहुत जरूरी है. खासतौर पर क्षेत्रीय मीडिया की परिस्थितियों को लेकर उन्होंने चिंता जाहिर की.