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आलाकमान से बगावत के बाद असमंजस में गहलोत समर्थक विधायक, जानें बेचैनी की वजह

भले ही सार्वजनिक रूप से कोई भी बयान न दिए जा रहे हों, लेकिन मौजूदा हकीकत यह है कि गहलोत समर्थक विधायक दोधारी तलवार पर लटके (Gehlot supporter MLA trouble) हैं, जिसके एक ओर कुआं है तो दूसरी ओर खाई है. ऐसे में वो कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि वे करें तो क्या करें...

Sonia Gandhi may increase the problems
गहलोत समर्थक विधायकों की बढ़ सकती है मुश्किलें

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Published : Oct 3, 2022, 4:19 PM IST

Updated : Oct 3, 2022, 6:14 PM IST

जयपुर.पिछले दो साल से राजस्थान सियासी रूप से अस्थिर (Rajasthan Political Crisis) है. इसकी बानगी समय-दर-समय देखने को मिलते रही है. चाहे जुलाई 2020 की बात करें या फिर मौजूदा परिदृश्य की, हालात कमोबेश एक से ही जान पड़ेंगे. जुलाई, 2020 में सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Former Deputy Chief Minister Sachin Pilot) की नाराजगी के बीच चले बयानों के कारवां को शायद ही कोई भूला हो.

बगावत की आंधी में बात बर्खास्तगी तक आ गई थी, लेकिन किसी तरह से पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद बिगड़े हालात पर काबू पाया जा सका. लेकिन मौजूदा सूरत-ए-हाल कुछ और ही बयां कर रहा है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि सीएम गहलोत के समर्थक विधायकों के अड़ियल रुख से पार्टी आलाकमान खासा नाराज है. ऐसे में उन्हें आगे कई तरह की दिक्कतें भी पेश आ सकती है. यही कारण है कि आज विधायक दोधारी तलवार पर लटके हैं. जिसके एक ओर कुआं है तो दूसरी ओर खाई है.

असमंजस में गहलोत समर्थक विधायक, सुनिए क्या कहा सीएम ने....

विधायक एक तरफ अगले सवा साल तक सीएम गहलोत के साथ बने रहना चाहते हैं तो वहीं दूसरी ओर उन्हें आलाकमना की सख्ती भी झेलनी पड़ सकती है. आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट कटने का खतरा (MLAs fear being cut tickets) भी मंडराने लगा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी जानते हैं कि विधायक उनके समर्थन में कम और सचिन पायलट की खिलाफत में ज्यादा हैं. यही वजह है कि गहलोत को विधायकों को यह बोलने की आवश्यकता नहीं पड़ी कि आलाकमान पायलट को लेकर क्या सोच रहा है.

असमंजस में गहलोत समर्थक विधायक

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पायलट विरोध और समर्थक विधायकों के बागी रवैए के कारण गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस से बाहर कर दिए गए. इसके साथ ही विधायकों का इस्तीफा अब भी स्पीकर सीपी जोशी के पास पड़ा है. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बात को कोट किया था कि अक्सर विधायक उस शख्स के संपर्क में होते हैं जिसे पार्टी आलाकमान बतौर सीएम प्रोजेक्ट करता है या करने वाला होता है, लेकिन ऐसा राजस्थान में नहीं हो रहा है. यानी साफ है कि गहलोत यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह लड़ाई गहलोत बनाम पायलट न होकर, पायलट बनाम विधायक बन चुकी है.

इन विधायकों ने कहा इस्तीफे की जानकारी नहीं, लेकिन वापस लेने नहीं पहुंचीं
विधायकों में असमंजस के हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भले ही कुछ विधायकों जैसे विधायक गंगा देवी, इंदिरा मीणा, प्रीति शक्तावत ने यह भी कहा कि उन्हें रेसिगनेशन के बारे में जानकारी नहीं थी या फिर उन्हें धोखे में रखकर इस्तीफा दिलवाया गया है, वे तो आलाकमान के साथ हैं. लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि 8 दिन का समय गुजर जाने के बावजूद एक भी विधायक स्पीकर सीपी जोशी के यहां इस्तीफा वापस लेने नहीं पहुंचा. इंदिरा मीणा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात भी कर चुकी हैं लेकिन इस्तीफा लेने नहीं गईं. बाकी सभी विधायक भी अब शांत होकर बिना किसी बयानबाजी के बैठे हैं.

Last Updated : Oct 3, 2022, 6:14 PM IST

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