जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने जवाबदेही कानून के ड्राफ्ट को आम जनता के सुझाव के लिए पब्लिक डोमेन में डाल दिया है, लेकिन इस कानून में रही खामियों को लेकर सामाजिक संगठन लामबंद हो गए हैं. सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान से जुड़े लोगों ने इस कानून में रही खामियों पर दुख व्यक्त करते हुए सरकार को इस कानून को प्रभावी बनाने के लिए सुझाव को जोड़ने की मांग की है.
कमजोर कानून से जवाबदेही नहीं मिलेगी :सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान से जुड़े और लम्बे समय से जवाबदेही कानून के लिए संघर्षरत निखिल डे का कहना है कि बहुत लंबे इंतजार के बाद ड्राफ्ट पब्लिक डोमेन में है, लेकिन इस कानून में कुछ कमियां हैं जिनको लेकर हमने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. जब भी कोई कानून आता है तो वो सिर्फ एक लाइन में समझ आ जाना चाहिए, लेकिन इसमें स्पष्टता नहीं है. उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार कानून में स्पष्ट हैं. कोई भी व्यक्ति किसी भी काम की सूचना मांगता है तो, उसे 1 महीने में सूचना मिलती है. अगर इसमें टाइम लगता है तो उसमें जुर्माने का प्रावधान है.
जवाबदेही कानून में खामियां इस जवाबदेही कानून में इस तरह की स्पष्टता नहीं है. इस कानून में कोई भी पीड़ित अपनी शिकायत कर सकता है लेकिन इसका निपटारा कब होगा, इसका कोई पता नहीं है. पेनल्टी की व्यवस्था है, लेकिन कितनी है और कब लगेगी इसका कुछ पता नहीं है. इसलिए इसे एक लाइन वाला कानून नहीं कह सकते. उन्होंने कहा कि जनता से जुड़ा हुआ कानून है तो जनता को एक लाइन में समझ में आना चाहिए था.
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समय सीमा तय नहीं :निखिल डे ने कहा कि किसी भी कानून में सबसे ज्यादा जरूरी होती (draft of Accountability Bill in Rajasthan) है समय सीमा. लेकिन इस कानून में वो ही गायब है. उन्होंने कहा कि कानून में होना चाहिए कि शिकायत पर अगर हां तो कब तक होगा और न तो क्यों नहीं होगा. अगर कोई जवाब नहीं मिलता है तो उस व्यवस्था के ऊपर पेनल्टी का प्रावधान है. इस तरह की व्यवस्था हो तो प्रदेश की जनता को राहत मिलती है. कानून में सबसे महत्वपूर्ण चीज है और उसी को ही सरकार ने नहीं डाला है. निखिल डे ने कहा कि हम इस कानून से बहुत ज्यादा दुखी हैं. समय सीमा तय नहीं है तो आज की तारीख में इस कानून का कोई मतलब नहीं है.
जो प्रावधान थे वो ही हटे :निखिल डे ने कहा कि यह बहुत ही दुखद है कि जो प्रावधान सुनवाई (Nikhil Dey objected draft of Accountability Bill) का अधिकार कानून 2012 और शिकायत निवारण कानून 2011 में थे उन्हें भी इस मसौदे से हटा दिया गया है. सरकार को और इंतजार नहीं करवाना चाहिए. उचित प्रावधान इस कानून में करते हुए तुरंत यह कानून को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कानून की प्रक्रिया, समय सीमा, कानूनी कार्रवाई कानून में स्पष्ट की जाए, नहीं तो यह कानून प्रभावी नहीं बन पाएगा. मानवधिकार कार्यकर्त्ता एवं पीयूसीएल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि यदि जब तक जवाबदेही कानून के मसौदे में उचित प्रावधान नहीं डाले जाते हैं तब तक यह कानून लोगों के काम का नहीं होगा. इसलिए विभिन्न समूहों और संगठनों की ओर से दिए गए सुझावों को इसमें जोड़ना ही होगा.
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ये बताई खामियां :(Flaws in draft of Accountability Bill)
- राजस्थान सरकार 2022 में सुनवाई का अधिकार कानून लाई थी, उसे भी बहुत कमजोर कर दिया गया है. जिससे नागरिकों की कई प्रकार की शिकायतें इस कानून के दायरे में ही नहीं आ पाएंगी. वे उन्हें इस कानून के तहत पंजीकृत नहीं करा पाएंगे.
- किन शिकायतों का कितने समय में निपटारा किया जाएगा उसके बारे में कुछ स्पष्टता नहीं.
- जिला स्तर पर शिकायतों की अपील के लिए विकेंद्रीकृत व्यवस्था नहीं है. जहां पर शिकायत के निपटारे से संतुष्ट नहीं होने पर नागरिक अपील कर सकें.
- राज्य स्तर पर एक प्रभावी और स्वतंत्र शिकायत निवारण आयोग का अभाव.
- जुर्माने और क्षतिपूर्ति के अप्रभावी प्रावधान.
तीसरी बार पब्लिक डोमेन में बिल :राजस्थान सरकार के जन अभियोग निराकरण विभाग की ओर से राजस्थान पब्लिक सर्विस गारंटी एवं अकाउंटेबिलिटी बिल 2022, जनता से सुझाव लेने के लिए वेबसाइट पर डाला है. इससे पहले भी दो बार जवाबदेही कानून का मसौदा पब्लिक डोमेन में डाला गया था, लेकिन वह कानून नहीं बन सका. तीसरी बार बिल 2022 को सरकार ने आम जनता से सुझाव के लिए वेबसाइट पर डाला है. 9 नवंबर 2022 तक पब्लिक से इसके बारे में टिप्पणी और सुझाव मांगे हैं. यह मसौदा वेबसाइट पर आना बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने घोषणा पत्र में जवाबदेही बिल लाने की बात कही थी. इसके बाद 2019 में अपने बजट घोषणा में इस बिल को लाने की घोषणा की. इसके बाद 2022 की बजट घोषणा में फिर से इस बिल को लाने की प्रतिबद्धता दिखाई थी.
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क्या है जवाबदेही कानून : (What is Accountability Bill)
- पहला : किसी भी व्यक्ति की समस्या का समाधान अगर कोई अधिकारी नहीं करता है तो उसके ऊपर का अधिकारी, शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त कर पाबंद करेगा.
- दूसरा : समय सीमा में पीड़ित व्यक्ति की सुनवाई होगी. ये बिल खुले रूप से बात रखने का मौका देगा.
- तीसरा : यह बिल आम आदमी को अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार देगा कि वह कलेक्टर एसडीएम के सामने आप अपनी बात रख सकते हैं
- चौथा :इस बिल के बाद कई सारी सेवाएं ऑटोमेटिक मिल जाएंगी, जो आपका अधिकार है. अगर आपके पास सभी कागज दस्तावेज हैं तो आपको आपके अधिकार मिल जाएंगे.
- पांचवा : सामाजिक अंकेक्षण परफॉर्मेंस अथॉरिटी इस कानून के अंदर लाए गए हैं. इसमें सभी विभागों का सामाजिक अंकेक्षण भी हो सकेगा और सुधारात्मक चीजें भी लाया जा सकेगा.
- छठवां : इस बिल में काम नहीं करने वाले अधिकारी पर पेनल्टी का प्रावधान है. इसके साथ स्वतंत्र आयोग का भी प्रावधान है.
दुनिया का ऐसा पहला कानून :बिल के आने का मतलब है कि यह देश और दुनिया में भी इस प्रकार पहली बार ऐसा कानून आएगा. इसमें कुछ चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं. जवाबदेही हमेशा ऊपर के अधिकारी के नहीं, बल्कि जनता के प्रति रहेगी. जिन लोगों को अपनी समस्याओं का कोई जवाब नहीं मिल रहा था इस बिल के आने से उनको पूरा मौका मिलेगा. सीमित समय के अंदर उनका पूरा हक प्राप्त कर सकेंगे. जिस प्रकार से पूरा ढांचा इस बिल के माध्यम से बनेगा, वो राजस्थान के लिए बहुत बड़ी बात है.
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इसका पहला फायदा कि हर व्यक्ति अपनी समस्या का समाधान निकालने के लिए खुद जुड़ सकेगा. दूसरा, सरकार अपनी जवाबदेही जनता के प्रति रखेगी. तीसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज है कि यह उन अधिकारियों को स्पष्ट करेगा जो अपना काम करने में लापरवाही बरतते हैं. इस बिल के आने के बाद आम जनता उनको भी दंडित कर सकती है.
12 साल का संघर्ष :सामाजिक संगठन लगातार 12 साल से इस मसौदे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. सरकार से तीन दौर में बात हुई. 2020 में राम लुभाया कमेटी बनी और इसपर चर्चा हुई. यह तीसरी बार था जब सरकार ने कानून को लाने की बात कही. इसकी शुरुआत 2011 से हुई थी. जवाबदेही कानून लाए जाने को लेकर पहली जवाबदेही यात्रा 1 दिसंबर 2015 से 10 मार्च 2016 तक राज्य के सभी 33 जिलों में निकाली गई थी. इसके बाद प्रत्येक वर्ष जवाबदेही कानून लाए जाने के लिए आंदोलन किए जाते रहे हैं. अभी हाल ही में 20 दिसंबर 2021 से 5 जनवरी 2022 तक दूसरी जवाबदेही यात्रा का प्रथम चरण और 5 सितंबर 2022 से 18 सितंबर 2022 तक यात्रा का दूसरा चरण किया गया. इन सभी चरणों में लोगों से शिकायत एकत्रित की गई है.