जयपुर. राजस्थान में कई अपराधी सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी धाक जमाने और इसे कायम रखने के लिए कर रहे हैं. इसके साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से चंद सेकंड में एक बड़े वर्ग तक फैलती अफवाहों और गलत सूचनाएं भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही थी. लेकिन अब पुलिस ने अपराधियों और अफवाहों के खिलाफ अपनी इस जंग में सोशल मीडिया को ही अहम हथियार बना लिया है. आज हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजस्थान पुलिस का ऑफिशियल अकाउंट है और हर जानकारी इन पर शेयर करने के साथ ही लोगों को अलग-अलग मुद्दों पर जागरूक करने का काम भी पुलिस कर रही है. वहीं, आज सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बने राजस्थान पुलिस के अकाउंट पर लाखों फॉलोवर्स हैं.
26 हजार से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप - सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आधिकारिक अकाउंट के साथ ही पुलिस वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी लोगों को जोड़ने की दिशा में लगातार काम कर रही है. इसके लिए बीट स्तर पर काम किया जा रहा है. वाट्सएप पर बीट के आधार पर ग्रुप बनाकर पुलिस डेढ़ लाख लोगों को अपने साथ जोड़ चुकी है. इसके लिए 26 हजार से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही अपराधियों पर शिकंजा कसने और अफवाहों पर अंकुश लगाने में भी यह वाट्सएप ग्रुप पुलिस के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं.
एडीजी क्राइम दिनेश एमएन ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से पुलिस को साढ़े चार हजार से ज्यादा अहम जानकारियां मिली हैं. समय पर जानकारी मिलने से जरूरी कार्रवाई करने में आसानी होती है. इन जानकारियों को संबंधित थानों को भेजकर कार्रवाई सुनिश्चित करवाई गई है. साथ ही बड़े पैमाने पर अफवाहों और गलत जानकारियों का खंडन करने में भी सोशल मीडिया पुलिस के लिए मददगार साबित हो रही है.