जयपुर.राजस्थान को वीरों की भूमि के रूप में जाना (Rajasthan the land of heroes) जाता है. बावजूद इसके आज भी इस धरा पर बाल विवाह जैसी कुरीतियां खत्म (Child marriage in Rajasthan) होने का नाम नहीं ले रही हैं. जहां एक ओर हर क्षेत्र में बेटियां कामयाबी की मिसाल गढ़ रही हैं तो वहीं, दूसरी ओर आधुनिकता व शिक्षा के इस दौर में भी मासूम बच्चियों की कम उम्र में ही शादी कर दी जा रही है. ताजा आंकड़ों की मानें तो राजस्थान में हर चौथी लाडो को बाल विवाह के बंधन में बांध दिया जाता (Cases of child marriage increased in Rajasthan) है. साल 2019 से 21 के बीच 25.4% महिलाओं का बाल विवाह किया गया. शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 15.1% व ग्रामीण क्षेत्रों में 28.3% रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है.
आंकड़ों पर नजर:नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) की ओर से एक रिपोर्ट जारी किया गया है. यह रिपोर्ट 2019-21 के मध्य की है. रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में 2019-21 के मध्य 25.4% महिलाओं का बाल विवाह हुआ था यानी विवाह के समय उनकी उम्र 18 साल से कम थी. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति अधिक खराब है. शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 15.1% और ग्रामीण क्षेत्रों में 28.3% के करीब रहा है. इन सब के बीच सबसे गंभीर बात यह है कि बाल विवाह के बाद 3.7% लड़कियां 15 से 19 साल की उम्र में ही मां बन जाती है. शहरी क्षेत्र में 1.8% लड़कियां 15 से 19 साल के बीच मां बनती हैं तो ग्रामीण इलाकों में 4.2% लड़कियां 15 से 19 साल में मां बनने को विवश है.
मुकदमे नहीं होते दर्ज:बच्चों को लेकर काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल ने बताया कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के ताजा आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि प्रदेश में आज भी बाल विवाह नही रुक पा रहा है. सर्वे के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 25.4% महिलाएं ऐसी हैं, जिनका बाल विवाह हुआ है. वहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार प्रदेश में साल 2019 में 20, साल 2020 में तीन और साल 2021 में 11 मामले बाल विवाह के दर्ज किए गए हैं. जिससे यह साफ होता है कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के प्रति लोग आंखें मूंदकर बैठे हैं. जब तक आम व्यक्ति इसको लेकर जागरूक नहीं होगा, तब तक इसे रोकना मुश्किल है.
विशेष अभियान की तैयारी:कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि राजीव भारद्वाज ने कहा कि अगर हम वास्तव में राजस्थान को बाल विवाह मुक्त बनाना चाहते हैं तो हमें सबसे पहले अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है. साथ ही इस मसले से जुड़े सभी पक्षों को एक साथ काम करना होगा. अभिभावकों को समझाना होगा कि बाल विवाह के केवल दुष्परिणाम ही होते हैं. ऐसा करके ही हम बाल विवाह को समाप्त कर सकते हैं.