जयपुर. बैंड-बाजे, हाथी-घोड़े-ऊंट के लवाजमे के साथ 14 फीट के मुख्य रथ में विराजमान स्वर्ण मंडित भगवान गणेश के चित्र के साथ बुधवार को छोटी काशी की प्रसिद्ध शोभायात्रा निकली. मोती डूंगरी मंदिर से शुभारंभ होकर ये शोभायात्रा देर रात गढ़ गणेश चौक पहुंचेगी. इस बार शोभायात्रा में करीब 86 झांकियां शामिल की गई है. जिनमें से 28 झांकियां स्वचालित हैं.
शोभायात्रा में जयपुर के प्रसिद्ध बैंड अपनी मधुर स्वर लहरी और व्यायाम शालाओं के हुनरबाज विभिन्न करतब दिखाते हुए शहर के मुख्य मार्गों से गुजरे. वहीं शहर भर में पुष्प वर्षा से शोभायात्रा का स्वागत किया गया और शोभायात्रा मार्ग में सैकड़ों की संख्या में प्रसाद वितरण की स्टाल, झांकियां और भजन मंडलियों की प्रस्तुतियां हुई. प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुधवार को मोती डूंगरी गणेश मंदिर से भगवान गणेश की 36वीं शोभायात्रा का शुभारंभ किया. उन्होंने मुख्य रथ में विराजमान भगवान श्री गणेश की आरती की और प्रदेश में सुख समृद्धि की कामना की. इस दौरान शोभायात्रा देखने और भगवान के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु सड़कों पर उमड़े.
पढ़ें:Ganesh Chaturthi 2023: त्रिनेत्र गणेश मेला परवान पर, श्रद्धालुओं ने प्रथम पूज्य के दर्शन कर मांगी मनौतियां
वहीं शोभायात्रा में चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और शिव शक्ति पॉइंट पर विक्रम लैंडर से निकलते प्रज्ञान रोवर की झांकी मुख्य आकर्षण का केंद्र रही. इसके अलावा आशीर्वाद देते भगवान हनुमान की 12 फीट की प्रतिमा, 18 फीट के गणेश जी, त्रिपोलिया गेट पर रिद्धि-सिद्धि के साथ भगवान गणेश, नीले घोड़े पर सवार होकर नगर भ्रमण करते गणपति, शेषनाग और पृथ्वी पर नृत्य करते गजानन और बाल रूप में भगवान शिव की पीठ पर खेलते भगवान गणेश की झांकी आकर्षण का केंद्र रही. जिन्हें अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने के लिए शहरवासी आतुर नजर आए. इसके अलावा तिरंगे के साथ लहराते भगवा ध्वज, अमृत महोत्सव की तिरंगा झांकी और छत्रपति शिवाजी महाराज की झांकी भी चर्चा का विषय रही.
पढ़ें:गणेश डूंगरी मंदिर दे रहा महिला सशक्तिकरण का संदेश, 132 साल से महिलाएं हैं प्रधान पुजारी
आपको बता दें कि भगवान गणेश की ये शोभायात्रा मोती डूंगरी गणेश मंदिर से रवाना होकर, मोती डूंगरी रोड, जौहरी बाजार, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार और ब्रह्मपुरी होते हुए गढ़ गणेश मंदिर के चौक पर विसर्जित होगी. यहां से स्वर्ण मंडित चित्र को गढ़ गणेश मंदिर तक ले जाया जाएगा.