जयपुर. टोंक जिले के पीपलू में बजरी खनन को लेकर पांच दिन पहले ट्रैक्टर चालक शंकर मीणा (24) की हत्या के मामले की जांच के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन किया है. मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए यह मामला सीआईडी क्राइम ब्रांच को सौंपा गया है. मामले की जांच के लिए दो एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारियों समेत 8 पुलिसकर्मियों की एसआईटी गठित की गई है.
बता दें कि बजरी खनन को लेकर ट्रैक्टर चालक शंकर मीणा को बजरी लीज नाककर्मियों ने जमकर पीटा था. इसके बाद 28 जून को उसका शव मिला था. गुस्साए ग्रामीणों ने शव रखकर प्रदर्शन किया और बजरी नाके की जीप और ट्रोले को आग लगा दी थी.
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एडीजी (क्राइम) दिनेश एमएन ने बताया कि टोंक जिले के पीपलू थाना क्षेत्र में हुए शंकर मीणा हत्याकांड का अनुसंधान सीएमओ ने सीआईडी सीबी को सौंपा है. प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच के लिए आईजी क्राइम प्रफुल्ल कुमार के सुपरविजन में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की गई है. एडिशनल एसपी आशाराम चौधरी व नेमसिंह जांच के लिए टोंक पहुंच चुके हैं. एडीजी दिनेश एमएन ने बताया कि हिनियस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट सेल, अजमेर रेंज के एएसपी नेम सिंह को इस मामले में अनुसंधान अधिकारी नियुक्त किया गया है.
यह अधिकारी शामिल हैं एसआईटी में : सरकार के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय द्वारा गठित आठ सदस्यीय एसआईटी में सीआईडी क्राइम ब्रांच से एएसपी आशाराम चौधरी के अलावा राजेश मलिक तकनीकी सहयोग के लिए शामिल किए गए हैं. इनके अलावा टीम में पुलिस निरीक्षक हनुमान सिंह, रविंद्र यादव व राम सिंह नाथावत, एएसआई रामकरण और कांस्टेबल रतीराम को शामिल किया गया है. एसआईटी घटना के समस्त पहलुओं की जांच कर रिपोर्ट राज्य सरकार और पुलिस मुख्यालय को सौंपेगी.
दो दिन बाद उठाया था शव : इस घटना को लेकर शंकर मीणा के परिजनों ने पुलिसकर्मियों पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. इस पर टोंक एसपी राजर्षि राज ने हेड कांस्टेबल राजेंद्र कुमार, कांस्टेबल राहुल और चिरंजीलाल को निलंबित कर दिया था. इस मामले में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल भी परिजनों के साथ धरने पर बैठे थे. मांगों पर सहमति बनने पर परिजनों ने 30 जून को शंकर मीणा का शव उठाया था.