जयपुर. मदन लाल सैनी के स्वर्गवास के बाद अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए नेताओं में दौड़ शुरू हो चुकी है. इस पद के लिए पार्टी में कई दावेदार है लेकिन अंतिम निर्णय में इस बार वसुंधरा राजे नहीं बल्कि आरएसएस की अहम भूमिका रहेगी.
मदन लाल सैनी के निधन के बाद खाली हुए राजस्थान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद पर इस बार कौन बैठेगा. सबकी निगाहें इसी बात पर टिकी है. हालांकि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के कई नेता कतार में हैं. कुछ जातिगत आधार पर तो कुछ संघ पृष्ठभूमि के चलते इस दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं. दौड़ में शामिल नेताओं में चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, विधायक सतीश पूनिया और मदन दिलावर और विधायक दल के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ का नाम सबसे प्रमुख माना जा रहा है.
हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के नाम की चर्चा भी यदा-कदा चलती है लेकिन अनुभव के लिहाज से इस पद पर राठौड़ को मौका मिलना बेहद मुश्किल है. बात करें सीपी जोशी की तो ब्राह्मण समाज से आने वाले सीपी जोशी पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की पसंद में शुमार है. संघ पृष्ठभूमि के साथ ही ब्राह्मण समाज से होना सीपी जोशी की प्रमुख ताकत है. वहीं संघ पृष्ठभूमि से आने वाले पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी भी ब्राह्मण समाज से आते हैं और संभवत चतुर्वेदी के नाम पर केंद्र के साथ ही वसुंधरा राजे खेमे की भी मौन स्वीकृति रह सकती है.
यदि ब्राह्मण समाज से इतर जाने का फैसला लिया गया तो फिर पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और विधायक सतीश पूनिया का नाम सबसे आगे माना जा सकता है. पुनिया संघनिष्ठ होने के साथ जाट समाज से आते है वहीं बात की जाय मदन दिलावर की तो वो भी आरएसएस की पसंद माने जाते है. राजपूत समाज से आने वाले पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ भी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर पहुंचने की चाहत रखते हैं उसके लिए लगातार लॉगइन में भी जुटे हैं हालांकि संघ पृष्ठभूमि से ना होना उनकी एकमात्र कमजोरी है.