बीकानेर. फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष को होने वाली संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है और इस दिन भगवान गणेश के छठवें स्वरूप की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियों का अंत हो जाता है. विघ्नगर्ता गणेश की भक्त पर विशेष कृपा होती है, उसे सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
सुकर्म योग में चतुर्थी- पंचांग के मुताबिक चतुर्थी के दिन सुबह सुकर्मा योग लग रहा है और यह शाम 4 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. ज्योतिष में सुकर्मा योग में पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है. चंद्रमा रात 09:18 बजे उदय होगा.
ऐसे करें पूजा- द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत पर भगवान गणपति की पूजा करते समय भगवान गणेश की मूर्ति को उत्तर या पूर्व दिशा में ही रखें. ध्यान रहे भगवान गणेश की प्रतिमा खंडित या फिर फटी गली हुई न हो. वहीं मंदिर में भगवान गणेश की दो मूर्तियों का एक साथ पूजन न करें और न ही मंदिर में एक साथ दो मूर्तियां रखें. भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना के दौरान लाल रंग के ही कपड़े पहने.