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सफाई कर्मचारियों की हड़ताल : दूसरे दिन सफाई व्यवस्था के और बिगड़े हालात, निगम के संसाधन नाकाफी

जयपुर में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जारी है. बुधवार को सफाई व्यवस्था के हालात और बिगड़ गए. परकोटे के बाजार गंदगी के ढेर से अटे हुए हैं. दो दिन से यहां झाड़ू नहीं लगी, कचरा नहीं उठा. अब तो घरों से निकलने वाला कचरा भी मुख्य सड़कों पर आने लगा है.

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सफाई कर्मचारियों की हड़ताल

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Published : Apr 26, 2023, 11:58 AM IST

जयपुर. राजधानी में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते दूसरे दिन भी सफाई व्यवस्था बेपटरी रही. 8100 सफाई कर्मचारियों के बजाय गैर वाल्मीकि समाज के 2100 सफाई कर्मचारियों ने अपनी ड्यूटी निभाते हुए सड़कों पर झाड़ू लगाई और शहर के कुछ जोन में वेंडर्स ने डोर टू डोर कचरा संग्रहण भी किया. लेकिन 6000 कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार करने के चलते शहर के अधिकतर बाजारों और गलियों में झाड़ू नहीं लगी और सड़कों पर कचरे के ढेर लगे रहे.

परकोटे के बाजार गंदगी के ढेर से अटे हुए हैं. दो दिन से यहां झाड़ू नहीं लगी. कचरा नहीं उठा और अब तो घरों से निकलने वाला कचरा भी मुख्य सड़कों पर आने लगा है. क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में संचालित डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर भी नहीं पहुंच रहे हैं, जो अब निगम प्रशासन के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. हालांकि, सफाई कर्मचारियों की मांग निगम स्तर पर निस्तारित नहीं हो सकती, क्योंकि मामला राज्य सरकार से जुड़ा हुआ है. ऐसे में निगम प्रशासन वेंडर्स और अपने संसाधनों के जरिए सफाई व्यवस्था में जुटा है.

पढ़ें :सफाई कर्मचारियों की हड़ताल: शहर से नहीं उठा 700 टन कचरा, सरकार ने भर्ती को लेकर लगाई केविएट

दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते दिनों 30 हजार पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती की घोषणा की थी, लेकिन स्वायत्त शासन विभाग ने इनमें से 13 हजार 164 पदों पर ही भर्ती की विज्ञप्ति जारी की और ये भर्ती भी आरक्षण पद्धति पर की जा रही है. जिसके विरोध में वाल्मीकि समाज से जुड़े सफाई कर्मचारी कार्य बहिष्कार करते हुए हड़ताल के रास्ते पर उतरे हैं. वहीं, बुधवार को वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारी प्रत्येक जोन में टीम बनाते हुए क्षेत्र में भी घूमे. इस दौरान कोई सफाई करता हुआ पाया गया तो उनसे हाथ जोड़कर समझाइश करते हुए आंदोलन में शामिल होने की अपील की.

वाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ का तर्क है कि 2018 में गैर वाल्मीकि समाज के लोगों की सफाई कर्मचारियों के पदों पर भर्ती तो की गई, लेकिन बुधवार को वो कार्यालय में बैठकर काम कर रहे हैं. वहीं, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सफाई कर्मचारी के पद से अलग माना गया है. सफाई कर्मचारियों की पोस्ट पर आरक्षण पद्धति लागू नहीं होती. इसका नोटिफिकेशन भी राज्य सरकार को दिया गया है, लेकिन सरकार उदासीन रवैया अपनाया हुआ है.

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