जयपुर. राजस्थान में 2018 में भले ही कांग्रेस की सरकार बन गई हो, लेकिन 2013 में 21 सीटों पर सिमटी कांग्रेस को अध्यक्ष के तौर पर सम्भालकर वापस सत्ता वापसी करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सचिन पायलट का इंतजार अभी समाप्त नहीं हुआ है. लगता यही है कि यह इंतजार अभी और लंबा होने वाला है. ऐसे में बीते कई महीनों से नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट के बीच जो सचिन पायलट आलाकमान के कहने पर बिल्कुल चुप्पी साधे थे वो अब सीधे जनता के बीच जाने का मानस बना चुके हैं.
पायलट इसकी शुरुआत 16 जनवरी यानि आज नागौर के परबतसर में होने वाली जनसभा के साथ करने जा रहे हैं, जहां पायलट राजस्थान की जनता से सीधे संवाद करेंगे. पायलट के जनता के बीच जाने को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ एलान के जंग के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें सीधे भले ही पायलट गहलोत का नाम लेकर हमला नहीं करे लेकिन उनकी बातें गहलोत पर हमला ही होंगी. साथ ही लंबे समय से दोनों नेताओं के बीच चल रहा शांति काल ज्यादा लंबा चलेगा इसकी संभावना कम ही दिखाई दे रही है.
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पायलट का कार्यक्रम- 16 जनवरी से लेकर 20 जनवरी तक सचिन पायलट प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आम सभा और छात्र संवाद के जरिए राजस्थान के लोगों की नब्ज टटोलेंगे. साथ ही इन सभाओं में आने वाली भीड़ के जरिए आलाकमान को जनता में अपनी पकड़ भी दिखाएंगे. 16 जनवरी को पायलट नागौर के परबतसर, 17 जनवरी को हनुमानगढ़ के पीलीबंगा, 18 जनवरी को झुंझुनू के गुड़ा, 19 जनवरी को पाली के बाली में सादड़ी में जनसभा करेंगे. 20 जनवरी को जयपुर में सचिन पायलट का महाराज कॉलेज में छात्रसंघ कार्यालय के उद्धाटन के साथ ही युवाओं से संवाद का कार्यक्रम है. ऐसे में 5 दिनों में सचिन पायलट 5 जिलों में अपनी ताकत दिखाते नजर आएंगे, जिनमें नागौर, हनुमानगढ़, झुंझुनू, पाली और जयपुर शामिल है. लेकिन पायलट ने इन 5 जिलों के जरिए राजस्थान के 7 में से 4 संभाग भी कवर कर लिए हैं, जिनमें जोधपुर, बीकानेर, जयपुर और अजमेर शामिल है.