वीरांगनाओं के समर्थन में उतरे पायलट, सुनिए क्या कहा... जयपुर.बीते एक हफ्ते से अपनी मांगों को लेकर जयपुर के शहीद स्मारक पर धरने पर बैठीं वीरांगनाएं अचानक रविवार देर रात धरना स्थल से गायब हो गईं. वहीं, सोमवार को ये वीरांगनाएं राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से मिलने उनके निवास पहुंचीं, जहां उन्होंने पहले तो पायलट को अपनी आपबीती सुनाई और फिर उनसे फरियाद की कि वो कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात कर उन्हें अपनी समस्याओं और सरकारी वादाखिलाफी के बारे में बताना चाहती हैं.
वहीं, वीरांगनाओं से मुलाकात के बाद मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए पायलट ने कहा कि शहीदों की वीरांगनाओं के साथ अगर पुलिस मैन हैंडलिंग करेगी तो इसे किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जब शहीदों की वीरांगनाओं के साथ इस तरह का व्यवहार होगा तो फिर कोई और क्या उम्मीद लगा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि पुलिस का व्यवहार गलत था और उनका किया सभी ने देखा है. इस पर झूठ की कोई गुंजाइश नहीं है.
दरअसल, 28 फरवरी से राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ शहीद स्मारक पर धरना दे रही तीन वीरांगना सोमवार को अचानक सचिन पायलट के निवास पर पहुंच गई. इससे पहले ये मुख्यमंत्री निवास भी गई थी, जहां इन्हें पुलिस ने सीएम से मुलाकात नहीं करने दिया था. इसके बाद सोमवार को तीन वीरांगना रोती-बिलखती पायलट निवास पहुंची और सचिन पायलट से मिलने की फरियाद करती दिखाई दी. इस दौरान वीरांगनाओं को जब अंदर आकर पायलट से बात करने को कहा गया तो तीनों यह कहते हुए वहां धरने पर बैठ गईं कि अगर शहीदों की वीरांगनाओं से बाहर आकर पायलट नहीं मिलेंगे तो वह किससे मुलाकात करेंगे.
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इस पर सचिन पायलट बाहर आए और तीनों वीरांगनाओं की मौजूदगी में मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए. इस दौरान पायलट ने वीरांगनाओं के साथ पुलिस के व्यवहार को गलत ठहराया. साथ ही उन्होंने कहा कि मैन हैंडलिंग करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इसके बाद तीनों वीरांगनाओं से पायलट ने मुलाकात की और उनकी मांगों को सुना. वहीं, जो वीरांगनाएं पायलट निवास पहुंची थीं, उन्हें लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सचिन पायलट ने पत्र लिखा है.
नियमों में करें संशोधन : तीनों वीरांगनाओं के साथ पायलट जमीन पर बैठकर बात किए. इस दौरान उन्होंने उनकी सभी शिकायतें सुनी. साथ ही उनकी मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि अगर इसको लेकर कोई नियम नहीं भी है तो नियमों में संशोधन किया जाए, क्योंकि मामला शहीदों से जुड़ा है. उन्होंने आगे कहा कि अभद्र व्यवहार जिनके साथ किया गया है वह न केवल महिलाएं हैं, बल्कि शहीदों की वीरांगना हैं. उनके साथ अभद्रता नहीं की जानी चाहिए.
इससे पहले शहीद स्मारक पर धरने पर बैठी वीरांगनाएं रविवार देर रात अचानक धरना स्थल से गायब हो गई थीं. वीरांगनाओं के अचानक गायब होने से पुलिस और सरकार में खलबली मच गई. हालांकि, वीरांगनाओं का समर्थन कर रहे राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा से जब ईटीवी भारत ने इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें पता नहीं है कि आखिरकार वो कहां गई हैं, लेकिन यह भी रणनीति का ही एक हिस्सा है.
दरअसल, पुलवामा में शहीद हुए जवानों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए सरकार के मंत्रियों ने शहीदों के नाम पर सड़क निर्माण, स्कूलों के नामकरण सहित कई घोषणाएं की थी, लेकिन वो पूरी नहीं हुई. जिसकी वजह से शहीदों की वीरांगनाओं को लग रहा है कि उनके पति जो देश के लिए शहीद हुए उन्हें सरकार की ओर से सम्मान नहीं मिल रहा है. ऐसे में उन्होंने राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ मिलकर पहले विधानसभा के समक्ष धरना दिया और फिर उन्हें वहां से उठाकर शहीद स्मारक पर लाकर बैठा दिया गया. तभी से ये वीरांगनाएं शहीद स्मारक पर किरोड़ी लाल मीणा के साथ धरने पर बैठी रही, लेकिन रविवार देर रात वो अचानक धरना स्थल से गायब हो गई.
उधर, वीरांगनाओं के धरना स्थल से गायब होने पर सांसद मीणा ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. हो सकता है कि वो अपने घर गई हों या फिर दिल्ली भी जा सकती हैं, लेकिन ये सब रणनीति का हिस्सा है. समय आने पर खुलासा करूंगा. ऐसे में मतलब साफ है कि राज्य सरकार की ओर से जब न्याय की गुंजाइश नजर नहीं आई तो किरोड़ी मीणा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया.