गहलोत से बगावत के तीन साल हुए पूरे... जयपुर.जुलाई 2020 को राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में बगावत के रूप में हमेशा के लिए दर्ज किया जाएगा. ऐसी बगावत, जिसके चलते प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा. हालांकि तीन सालों में कई बैठकें, सुलह और समझौते तो हुए, लेकिन आज भी पालयट के हाथ खाली हैं. उन्हें पार्टी में प्रतिष्ठा तो मिली लेकिन कोई पद नहीं मिला.
बगावत के 3 साल पूरे :सचिन पायलट ने 3 साल पहले जुलाई 2020 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व को मानने से इनकार किया था और नाराज होकर अपने सहयोगी 18 विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे. बहरहाल, अब पायलट की बगावत के 3 साल पूरे हो चुके हैं. इन 3 सालों में सचिन पायलट पार्टी के लिए लगातार स्टार प्रचारक के तौर पर काम करते दिखे. राहुल गांधी ने पायलट को कई मौकों पर गले लगाया और साथ भी रखा, लेकिन गंवाए गए पद आज भी उन्हें नहीं दिए.
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सरकार बचाने की कवायद :राजस्थान में आज से 3 साल पहले 10 जुलाई 2020 से ही बगावत की कहानी शुरू हुई थी. 10 जुलाई को एसीबी ने राजद्रोह के मामले में सचिन पायलट को नोटिस दिया था. हालांकि, पायलट के साथ ही गवाही के लिए सीएम अशोक गहलोत को भी यह नोटिस दिया गया था. इस पर पायलट जयपुर लौटकर नहीं आए बल्कि उन्होंने अपने समर्थक 18 विधायकों को मानेसर के होटल में शिफ्ट कर दिया. 13 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने समर्थक सभी विधायकों को बाड़ा बंदी में भेज दिया. सरकार बचाने की ये कवायद 34 दिनों तक चली.
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक साथ दिखे पालयट-गहलोत ...और गंवाने पड़े थे पद :जयपुर से जैसलमेर होटल होते हुए ये जद्दोजहद 10 अगस्त को प्रियंका गांधी और अहमद पटेल के साथ पायलट कैम्प की सुलह तक भी पहुंची, जो जयपुर लौटने और 14 अगस्त 2020 को राजस्थान विधानसभा में बहुमत साबित करने तक चली. इन 34 दिनों के बाद वो हुआ जो राजस्थान में कांग्रेस के इतिहास में संभवतः पहली बार हुआ होगा. प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाकर, सेवादल अध्यक्ष राकेश पारीक, मंत्री रमेश मीणा और विश्वेन्द्र सिंह को उनके पदों से बर्खास्त किया गया.
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आज भी पायलट खाली हाथ :बगावत के आरोप के चलते सचिन पायलट को उनके प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री पदों से तुरंत प्रभाव से हाथ धोना पड़ा था. हालांकि, कांग्रेस आलाकमान के साथ हुए समझौतों पर उनकी पार्टी में तो वापसी हो गई, लेकिन आज भी सचिन पायलट को न तो सरकार में और न ही राजस्थान में कांग्रेस संगठन का पद मिला. 3 साल से लगातार सचिन पायलट अपनी बात कांग्रेस आलाकमान के सामने रख रहे हैं और अब उसका नतीजा भी दिखाई दे रहा है. सचिन पायलट ने भी अशोक गहलोत के साथ अपने पुराने सभी विवादों को भूलकर आगे बढ़ने का निर्णय लिया है.
29 मई को दिल्ली में हुई बैठक के दौरान की तस्वीर मिल सकता है अहम पद : राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जिस तरह सचिन पायलट को तवज्जो दी है, उससे साफ लग रहा है कि उन्हें आने वाले दिनों में राजस्थान के विधानसभा चुनाव से पहले कोई महत्वपूर्ण पद दिया जाएगा. अब इस बात के आसार ज्यादा हैं कि उन्हें राष्ट्रीय कांग्रेस में महासचिव, कांग्रेस वर्किंग कमेटी और कांग्रेस इलेक्शन कमेटी में कोई पद देकर, राजस्थान चुनाव में शामिल कर लिया जाए. अब इंतजार है जब पायलट को कोई पद देकर वापस कांग्रेस पार्टी में स्थापित किया जाए.
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राजस्थान में सियासी उठापटक पर एक नजर :
- जुलाई 2020 : पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद और उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किया गया.
- अगस्त 2020 : सचिन पायलट की प्रियंका गांधी से बातचीत और समझौता हुआ.
- 2020 से 2022 तक लगातार पायलट और गहलोत के बीच बयानबाजी का दौर चला.
- 9 अप्रैल 2023 : पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग करते हुए शहीद स्मारक पर किया अनशन.
- 11 से 15 मई 2023 : सचिन पायलट ने भ्रष्टाचार, पेपर लीक के मुद्दों को लेकर अजमेर से जयपुर तक पैदल यात्रा निकाली.
- 15 मई 2023 : पायलट ने गहलोत सरकार को 31 मई तक आरपीएससी को भंग करने, पेपर लीक मामले में प्रभावित छात्रों को मुआवजा देने और वसुंधरा राजे कार्यकाल के भ्रष्टाचार की जांच करने का अल्टीमेटम दिया. साथ ही पूरे प्रदेश में आंदोलन की चेतावनी दी.
- 29 मई 2023 : राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच वार्ता करवाई और दोनों नेताओं के बीच सुलह का फार्मूला तैयार किया गया.
- 6 जुलाई 2023 : राजस्थान को लेकर हुई राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की बैठक के बाद सचिन पायलट ने कहा कि वह पुरानी बातें भूल चुके हैं और उनकी मांगों पर एआईसीसी ने संज्ञान लिया है अब वह राजस्थान में मिलकर चुनाव लड़ेंगे.