जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राजनीतिक उठापटक को थामने के लिए 29 मई को राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोर्चा संभाला. कांग्रेस संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने 4 घंटे की बैठक के बाद यह ऐलान किया था कि दोनों नेताओं ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति दी है, तो लगा कि अब राजस्थान में पायलट और गहलोत मिलकर चुनाव लड़ते दिखाई देंगे, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है. सचिन पायलट ने जिस तरह से 31 मई को यह साफ कर दिया कि उनकी मांग कोई हवाई मांगे नहीं थी बल्कि उनकी प्राथमिकता उनकी मांगों पर कार्रवाई है और वह इन मुद्दों से पीछे हटने वाले नहीं हैं.
आज महीना बदला अल्टीमेटम का समय समाप्त : सचिन पायलट ने 15 मई को वसुंधरा राजे सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार की जांच, आरपीएससी में आमूलचूल परिवर्तन और पेपर लीक में प्रभावित छात्रों को मुआवजा की तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पायलट की मांगों में सरकार के लिए चेतावनी भी थी कि अगर यह तीनों मांगें नहीं मानी गई तो वह पूरे प्रदेश में अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे. अब 31 मई निकल चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई सरकार की ओर से पायलट के मुद्दों पर नहीं की गई है ऐसे में अब हर किसी की नजर पायलट है कि वह क्या कदम उठाते हैं?
11 अप्रैल को अनशन, 11 मई को पैदल मार्च, अब 11 जून को क्या ? :पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समय हुए भ्रष्टाचार के मामले में सचिन पायलट ने 11 अप्रैल से सड़क पर अपना विरोध दिखाना शुरू किया है. 11 अप्रैल को सचिन पायलट ने जयपुर एकदिवसीय अनशन किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो सचिन पायलट ने 11 मई से अजमेर से जन संघर्ष यात्रा शुरू की, जो 15 मई को जयपुर पहुंची. 15 मई को पायलट ने ऐलान कर दिया था कि अगर 31 मई तक उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं होती है तो फिर से गांधीवादी तरीके से अपनी मांगे उठाएंगे. ऐसे में अब हर किसी की नजर है कि आगे पायलट क्या कदम उठाते हैं?