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जयपुर: रूप चतुर्दशी पर महिलाओं ने उबटन लगाने के साथ किया सोलह शृंगार

दीपोत्सव के दूसरे दिन को रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है. इस दिन जहां बाजारों में खरीदारी की जाती है तो वहीं दूसरी ओर बरसों से चली आ रही महिलाओं के रूप निखारने की परंपरा भी निभाई जाती है. जयपुर में भी महिलाओं ने शृंगार किया और दीपावली पर्व की तैयारियों में जुट गई.

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Published : Oct 26, 2019, 2:59 PM IST

जयपुर. रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली के शुभ मौके पर बरसों से चली आ रही महिलाओं के रूप निखारने की परंपरा निभाई जाती है. इसी कड़ी में राजधानी में भी महिलाओं ने साज शृंगार किया. वहीं इतने दिनों में घर की साफ सफाई, सजावट और मिठाइयां बनाने में जुटी महिलाओं ने रूप चतुर्दशी पर खुद के लिए समय निकाला. घर के सारे कामों से फुर्सत निकालकर कुछ महिलाओं ने घर पर ही उबटन से अपने आप को संवारा तो कुछ ने पार्लर में जाकर रूप निखारा. इस कारण शहर के ब्यूटी पार्लर में भीड़ देखने को मिली. महिलाओं ने इस दिन के लिए पहले से ही बुकिंग करा रखी थी.

रूप चतुर्दशी पर महिलाओं ने किया सोलह शृंगार

बता दें कि, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. इसलिए इस चतुर्दशी का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा. नरकासुर नामक असुर ने अपनी शक्ति से देवी-देवताओं और इंसानों को परेशान कर रखा था. असुर ने संतों के साथ 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बनाकर रखा था. जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता और ऋषि-मुनियों ने भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आकर कहा कि, इस नरकासुर का अंत कर पृथ्वी से पाप का भार कम करें.

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जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें नरकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया, लेकिन नरकासुर को एक स्त्री के हाथों मरने का श्राप था. इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया. जिस दिन नरकासुर का अंत हुआ उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी. इसलिए महिलाएं इस दिन सोलह शृंगार करती हैं.

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