जयपुर.प्रदेश में बी फार्मा और डी फार्मा करने वाले हजारों फार्मासिस्ट अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस बार भी सरकार ने जो भर्ती विज्ञप्ति निकाली हैं, उससे फ्रेशर्स को आघात पहुंचा है. ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत बेनीवाल ने बताया कि 2018 की भर्ती लिखित परीक्षा से होनी थी. लेकिन पहले 4 बार इस परीक्षा को स्थगित कर दिया गया और अब नियमों में बदलाव करते हुए मेरिट बेस पर भर्ती करने की विज्ञप्ति जारी की है.
उन्होंने बताया कि फ्रेशर्स ही नहीं, जो 10 साल से संविदा पर कार्यरत फार्मासिस्ट थे (Pharmacist Recruitment Exam ) और इस भर्ती परीक्षा का इंतजार कर रहे थे, वो भी अब फ्रेशर्स में ही शामिल हो गए. क्योंकि उनके पास सरकारी अनुभव प्रमाण पत्र नहीं है. इस भर्ती में निशुल्क दवा वितरण केंद्रों पर लगे कोऑपरेटिव सोसायटी, यूटीबी, एनएचएम, सेमी गवर्नमेंट अस्पतालों में लगे फार्मासिस्ट और एजेंसियों या पीपीपी मोड पर लगे फार्मासिस्ट को फायदा होगा. उन्होंने आशंका जताई कि बहुत से अभ्यर्थी अब फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनवा कर लाएंगे. साथ ही कहा कि पद केवल 2020 है और अनुभवी फार्मासिस्ट की संख्या ही करीब 7000 है. ऐसे में पद भरने के बावजूद भी फ्रेशर्स को तो बिल्कुल मौका नहीं मिलने वाला. और चूंकि बी फार्मा, डी फार्मा दोनों एलिजिबिलिटी तय की गई है. क्योंकि एक डिप्लोमा कोर्स है और एक डिग्री कोर्स है. ऐसे में किस आधार पर मेरिट लिस्ट बनेगी.
बेरोजगारों का आरोप है कि चिकित्सा विभाग ने फर्जीवाड़े को बढ़ावा देने के लिए मेरिट बेस पर भर्तियां करवाई जा रही है. जबकि प्रदेश में कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं जो केवल कागजों में ही चल रहे हैं. उन विश्वविद्यालय से डिग्री लाकर मेरिट बेस पर अच्छी परसेंटेज बनाकर चिकित्सा विभाग खुद फर्जीवाड़ा करवाना चाह रहा है. जबकि 4 साल से बेरोजगार फार्मासिस्ट जयपुर और दूसरे बड़े शहरों में रहकर लिखित परीक्षा से भर्ती की तैयारी कर रहे थे. जो कार्मिक विभाग की ओर से भर्ती को लिखित परीक्षा से हटाकर मेरिट के आधार पर करने के आदेश से आहत हुए हैं.