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धरने पर बैठे रोडवेज कर्मचारी, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए दी ये बड़ी चेतावनी - जयपुर की ताजा खबर

राजस्थान रोडवेज के श्रमिक संगठनों ने गुरुवार से प्रदेश भर के सभी इकाइयों पर दो दिवसीय धरना शुरू कर दिया है. जिसके बाद अब धरनार्थियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो सचिन पायलट और सीएम गहलोत के गृह क्षेत्र में भी रैली निकाली जाएगी.

Roadways employees on strike, जयपुर रोडवेज कर्मचारियों का धरना

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Published : Oct 10, 2019, 8:10 PM IST

जयपुर. राजस्थान रोडवेज के श्रमिक संगठनों ने गुरुवार से प्रदेश भर के सभी इकाइयों पर दो दिवसीय धरना शुरू कर दिया है. जयपुर में सिंधी कैंप बस स्टैंड के सभी डिपो कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से धरना-प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने दीपावली से पहले और दीपावली के बाद आंदोलन करने की रणनीति भी बनाई है.

धरने पर बैठे रोडवेज कर्मचारी

रोडवेज कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरकार को चुनाव से पहले किए गए वादे को याद दिलाने के लिए ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. रोडवेज कर्मचारियों का कहना है कि सरकार रोडवेज और इसके श्रमिकों की प्रमुख ज्वलंत समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रही. प्रदेश भर में रोडवेज की सभी इकाइयों पर 2 दिन 10 अक्टूबर और 11 अक्टूबर को बड़े स्तर पर धरना दिया जा रहा है.

प्रदेश भर में सुबह 11 बजे से 5 बजे तक 2 दिन धरना प्रदर्शन जारी रखा जाएगा. 17 अक्टूबर 2019 को टोंक में प्रदेश स्तरीय विशाल रैली निकाली जाएगी. 23 अक्टूबर को प्रदेशभर में रोडवेज की सभी इकाइयों में दोपहर 1 बजे, 1 घंटे का कार्य बहिष्कार यानी रोडवेज का चक्का जाम किया जाएगा. दीपावली के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शहर जोधपुर में प्रदेश स्तरीय विशाल रैली निकाली जाएगी.

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राजस्थान स्टेट रोडवेज एंप्लाइज यूनियन एटक के प्रदेश अध्यक्ष एमएल यादव ने बताया कि पिछली बार विधानसभा चुनाव से पहले रोडवेज के सभी संगठनों ने प्रदेश व्यापी हड़ताल शुरू की थी. इस दौरान कांग्रेस के सचिन पायलट और प्रताप सिंह खाचरियावास ने वादा किया था कि कांग्रेस की सरकार बनते ही अतिशीघ्र रोडवेज कर्मचारियों की मांगों को पूरा किया जाएगा, लेकिन सरकार बनने के बाद भी रोडवेज श्रमिकों की मांगों को पूरा नहीं किया गया.

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रोडवेज के 6 श्रमिक संगठनों का संयुक्त मोर्चा आज पूरे प्रदेश में धरना दे रहे हैं. प्रदेशभर में रोडवेज की सभी इकाइयो पर दो दिवसीय धरना दिया जा रहा है. अगर सरकार ने रोडवेज कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो 17 अक्टूबर को डिप्टी सीएम सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र में विशाल रैली निकालकर प्रदर्शन किया जाएगा. रैली निकालकर सचिन पायलट को उनका वादा याद दिलाने का प्रयास किया जाएगा. वहीं 23 अक्टूबर को रोडवेज का चक्का जाम किया जाएगा. दीपावली के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शहर जोधपुर में विशाल रैली निकाली जाएगी. इसके बाद भी अगर कुछ नहीं हुआ तो रोडवेज कर्मचारी हड़ताल शुरू करेंगे.

रोडवेज कर्मचारियों की प्रमुख मांगे...

  • पिछले 3 महीने से वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी से नहीं हो और वेतन पेंशन का प्रत्येक महीने के प्रथम कार्य दिवस को भुगतान किया जाए. सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू की जाए.
  • सेवानिवृत्त श्रमिकों के सभी प्रकार के बकाया भुगतान किया जाए.
  • 1500 नई बसें खरीदी जाए.
  • रिक्त पदों पर नई भर्ती की जाए.
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के बकाया एक्सग्रेसिया का बोनस के बराबर भुगतान किया जाए.
  • गत 3 वर्ष की अवधि में पांच बार स्वीकृत किए गए महंगाई भत्ते की बकाया राशि का भुगतान किया जाए.
  • वित्तीय वर्ष 2018-19 के बोनस एक्सग्रेसिया का बोनस के भुगतान हो.
  • बीजेपी सरकार द्वारा अंतराष्ट्रीयकृत किए गए मार्गों को वापस किया जाए.
  • बीजेपी सरकार द्वारा रोडवेज के बस स्टैंडो को हड़पने के लिए गठित किए गए बस अड्डा प्राधिकरण अधिनियम को रद्द किया जाए.
  • लोक परिवहन सेवा सहित निजी बसों को रोडवेज के बस स्टैंड से 5 किलोमीटर दूर से संचालित करने की कार्रवाई होनी चाहिए.

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