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जयपुरः रोडवेज प्रशासन ने डीजल छीजत पर नियंत्रण करने के दिए निर्देश - Roadways Administration Order

राजस्थान रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में अब रोडवेज प्रशासन ने डीजल छीजत पर नियंत्रण करने के निर्देश दिए हैं.

Diesel wear control, Roadways Administration Order
डीजल छीजत पर नियंत्रण के निर्देश

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Published : Aug 22, 2020, 10:27 PM IST

जयपुर.राजस्थान रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. जिसके तहत अब रोडवेज प्रशासन की ओर से कोरोना संक्रमण के बाद की स्थिति से निपटने के लिए डीजल की हर प्रकार से छीजत को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

अगस्त 2020 में रोडवेज प्रशासन की ओर से प्रति किलोमीटर डीजल खपत को नियंत्रित करने के उद्देश्य से नया प्रयास शुरू किया गया है. जिसके परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं. हाल ही में रोडवेज प्रशासन के सामने अनेक प्रकार की घटनाएं आई थी. इससे प्रेरित होकर रोडवेज प्रशासन के द्वारा एक परिपत्र जारी किया गया है.

इस परिपत्र में ऑफ रोड खड़ी गाड़ियों और कोरोना के कारण नहीं चल रही गाड़ियों में डीजल भरा दिखाकर और मार्ग में आने वाली वाहनों में डीजल भरकर रखने की गतिविधियों पर नियंत्रण करने के लिए सभी मुख्य प्रबंधकों और प्रबंध संचालक को सावधान किया गया है.

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रोडवेज प्रशासन ने डीजल छीजत पर नियंत्रण करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा कार्यशाला में आने जाने वाले लोगों को काम पर आते और जाते समय विशेष निगरानी रखी जाएगी. सुरक्षा गार्ड की यह जिम्मेदारी होगी कि खाने के टिफिन के अलावा अन्य कोई कंटेनर कार्यशाला में नहीं लाए. राजस्थान रोडवेज के प्रबंध निदेशक नवीन जैन ने कहा है कि इस प्रकार के नियंत्रण करने से डीजल खपत में कमी लाकर डीजल में होने वाली छीजत से प्रतिदिन लाखों रुपए की बचत हो पाएगी.

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लंबे समय से फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर मेडिकल अनफिट चालक और परिचालकों के संबंध में शिकायत प्राप्त होने के कारण राजस्थान रोडवेज के प्रबंध निदेशक नवीन जैन ने संज्ञान लिया है. रोडवेज के मुख्य उत्पादन प्रबंधक, जोनल मैनेजर और मुख्य प्रबंधकों को मेडिकल अनफिट चालक और परिचालकों से मेडिकल बोर्ड का नया प्रमाण पत्र 31 अगस्त तक प्राप्त करने के निर्देश दिए हैं.

इसके साथ ही एक सितंबर 2020 से जिन कर्मचारियों द्वारा अनफिट का मेडिकल बोर्ड से प्राप्त प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने पर इनके मूल पद का कार्य लेने के लिए भी निर्देशित किया गया है. मेडिकल बोर्ड का प्रमाण पत्र सही प्रतीत नहीं होने पर शिविर लगाकर इनकी जांच भी कराई जा सकती है. ऐसे में अनेक कर्मचारियों की सूचना समय-समय पर मुख्यालय पर आती रहती है, जो छोटी-छोटी बीमारी के नाम पर एक बार प्रमाण पत्र लेकर वर्षों तक उसके आधार पर कुछ कार्य नहीं कर रहे हैं.

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