जयपुर.प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में बीते दिनों आरटीई के तहत प्रवेश तो हुए, लेकिन कुछ स्कूलों ने छात्रों को एडमिशन देने में टालमटोली की. जिस पर शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए मान्यता रद्द करने की ओर कदम बढ़ाया है. ऐसे में अब अभिभावकों को उम्मीद है कि बीकानेर निदेशालय कोर्ट के आदेशों की पालना करने में कामयाब होगा. वहीं, शिक्षामंत्री वार्ता के जरिए रास्ता निकालने की जुगत में हैं. इन सबके बीच अब प्राइवेट स्कूलों ने अपने पुराने बकाए भुगतान की मांग उठा दी है.
राइट टू एजुकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को एडमिशन देने का प्रावधान है, लेकिन राजधानी सहित प्रदेश भर में कई स्कूल नियमों को ताक पर रख छात्रों को आरटीई के तहत एडमिशन देने से बच रहे थे. राजधानी के ऐसे ही 24 स्कूलों की मान्यता रद्द करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने निदेशालय को प्रस्ताव भेजा है. इस पर अभिभावक संघ के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राइट टू एजुकेशन को लेकर प्राइवेट स्कूलों ने कोर्ट में याचिका लगा रखी थी. जिसमें कोर्ट ने वर्तमान सत्र में जिन छात्रों के एडमिशन हो चुके हैं, उन्हें नियमित रखने के आदेश दिए. बावजूद इसके कोर्ट के आदेशों को भी प्राइवेट स्कूल अपने तरीके से उल्लेखित करते हुए छात्रों को एडमिशन नहीं दिए.
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इस पर जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास अभिभावकों की शिकायत पहुंची तो उस पर कार्रवाई करते हुए जयपुर के नामी 24 बड़े स्कूलों को नोटिस दिए गए. नोटिस का जवाब नहीं देने पर उनकी मान्यता रद्द करने के लिए बीकानेर निदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है. अब अभिभावकों को इंतजार है कि शिक्षा निदेशालय कोर्ट के आदेशों को किस तरह से लागू करवाता है.