जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार को लेकर नई दिल्ली में शनिवार को कांग्रेस आलाकमान प्रदेश के नेताओं से रिपोर्ट लेगा. साथ ही हार के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करने के बाद लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मिशन 25 पर ब्रेक लगाने के लिए रणनीति बनाने पर भी जोर देगा. हार के कारणों की समीक्षा के लिए आलाकमान ने अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाया है.
AICC मुख्यालय पर शनिवार की समीक्षा बैठक के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में चर्चा की जाएगी. इस बीच सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मौजूदगी भी रह सकतीं हैं. हाल ही में राहुल गांधी विदेश दौरे पर जाने वाले थे, लेकिन उनका यह कार्यक्रम रद्द हो गया. बैठक में संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी और स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष गौरव गोगोई समेत सचिन पायलट भी मौजूद रहेंगे.
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विधायक दल के नेता पर भी होगी बात :दिल्ली में कांग्रेस की हाई लेवल मीटिंग के दौरान विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता को लेकर भी चर्चा की जाएगी. बैठक में नेता प्रतिपक्ष, विपक्ष के मुख्य सचेतक और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की नई भूमिका को लेकर चर्चा के आसार हैं. दिल्ली रवाना होने से पहले कार्यवाहक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया कि प्रमुख नेता अच्छे माहौल के बावजूद पार्टी की हार के कारणों का विश्लेषण करने वाले हैं. हालांकि, विधायक दल ने नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के लिए आलाकमान को अधिकृत किया है. ऐसे में उस पर भी फैसला होगा. साथ ही लोकसभा चुनाव में जीत को लेकर रणनीति के शुरुआती दौर पर भी बातचीत होगी.
मनमर्जी टिकट वितरण पर सवाल :कांग्रेस की इस बैठक में प्रदेश में टिकट वितरण के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से की गई मनमानी को लेकर भी आलाकमान अपनी नाराजगी जाहिर कर सकता है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी राजस्थान में प्रचार का काम संभाल रही डिजाइन बॉक्स से नतीजे को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. 50 के करीब विधानसभा सीटों पर मुख्यमंत्री गहलोत और डिजाइन बॉक्स की सहमति से टिकट वितरण किया गया था. इनमें से कांग्रेस को महज 10 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इसके लिए जिम्मेदार नेता पर कार्रवाई के लिए तैयार है. राजधानी जयपुर में तमाम गांव के बावजूद आठ विधानसभा में से 6 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. एक मंत्री चुनाव हार गए, एक ने लड़ने से इनकार कर दिया और एक अन्य मंत्री को टिकट नहीं दिया गया.