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घर के कचरे से आर्गेनिक खेती कर रहे जयपुर के रिटायर्ड कर्मी, छत पर ही बनाया हरा-भरा किचन गार्डेन - etv bharat rajasthan news

खेती के बदलते ट्रेंड में लोग आर्गेनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में जयपुर के एक रिटायर्ड कर्मी ने छत पर ही अपना किचन गार्डेन तैयार किया है जिसमें वे ऑर्गेनिक सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. खात ये है कि वे खेती के लिए घर से निकलने वाले बायोवेस्ट का ही प्रयोग कर उत्पादन कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

kitchen Garden on terrace
kitchen Garden on terrace

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Published : Apr 8, 2023, 7:21 PM IST

Updated : Apr 8, 2023, 10:16 PM IST

जयपुर में किचन गार्डेन

जयपुर. कृषि विभाग से रिटायर होने के बाद राजधानी जयपुर में एक शख्स ने अपनी छत पर ही सब्जी औऱ फलों का शानदार बागीचा तैयार कर लिया है. इस बागीचे में वह ताजी सब्जियों और फलों की खेती कर रहे हैं. बगीचे की खास बात यह है कि यहां उगाई जाने वाली सब्जियां पूरी तरह से ऑर्गेनिक हैं और इनको तैयार करने के लिए घर से निकलने वाला बायोवेस्ट ही इस्तेमाल में लाया जा रहा है.

कृषि विभाग में निदेशक के पद से रिटायर होने वाले डॉ. शरद गोधा ने बड़ी शिद्दत और चाव से अपना किचन गार्डेन तैयार किया है. शुरू में टैरेस गार्डेन को लेकर उनका शौक था लेकिन फिर यह शौक उनका जुनून बन गया औऱ फिर छत पर ही उन्होंने अपना किचन गार्डेन तैयार कर लिया. किचन गार्डेन की देखरेख और खाद पानी के लिए उन्होंने दो लोगों को भी रखा है. आर्गेनिक खेती कर वह छत पर ही ताजी सब्जियां और फल भी उगा रहे हैं.

छत पर आर्गेनिक खेती

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घर की छत्त हुई गुलज़ार
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शरद गोधा अपने इस जुनून के बारे में बताते हैं कि उन्होंने घर के अलग-अलग कोनों में इस तरह के किचन गार्डेन सजाए हुए हैं. जहां से वे रोजमर्रा की जरूरत के हिसाब से सब्जियों का इस्तेमाल करते हैं. वे किचन गार्डेन की पूरी प्रक्रिया को डेमो के रूप में दिखाते हुए बताते हैं कि कैसे उन्होंने इस प्रक्रिया के बीच कचरे का इस्तेमाल किया ताकि पौधे को नुकसान भी न हो और घर से निकलने वाले बायोवेस्ट का सदुपयोग भी हो जाए.

उगा रहे सब्जियां

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गमले में अलग-अलग सतह पर सामान
घर पर तैयार किचन गार्डेन के गमले में डॉ. शरद सबसे नीचे कंकड़ पत्थर या फिर क्लेपॉट का इस्तेमाल करते हैं. इसके बाद वे प्लास्टिक और कपड़े से बने छोटे-छोटे गुटके बनाकर उन्हें जमाते हैं. इसके बाद गमले में पहाड़ी मिट्टी यानी कि बजरी का इस्तेमाल किया जाता है. बजरी के ऊपर साधारण मिट्टी, फिर खाद के मिश्रण वाली मिट्टी को जमा कर पौधा या बीज का रोपण करते हैं.

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डॉ. शरद बताते हैं कि इस प्रक्रिया से पौधे में लंबे समय तक नमी बनी रहती है और कम पानी के इस्तेमाल में अधिक उत्पादन किया जा सकता है. जहां तक मिट्टी में प्लास्टिक के उपयोग की बात है तो उन्होंने बताया कि जब तक कण के रूप में मिट्टी में प्लास्टिक नहीं मिल जाता है, तब तक मिट्टी की गुणवत्ता में कोई असर नहीं पड़ता है. लिहाजा वह किचन वेस्ट या रोजमर्रा के सामान से निकलने वाले वेस्ट मटीरियल को आर्गेनिक खेती के काम में लाते हैं.

जयपुर में किचन गार्डेन

जरूरत की सब्जियों का हो जाता है उत्पादन
डॉ. शरद ने अपने किचन गार्डेन और इसकी देखभाल के लिए दो सहयोगी भी घर पर रखे हुए हैं. वे पौधे लगाने से लेकर उसकी सार संभाल का काम करते हैं. डॉ. शरद के किचन गार्डेन को संभालने वाली राधा बताती हैं कि उन्होंने छत पर धनिया, पुदीना, मेथी से लेकर टमाटर, करेला, लौकी, तुरई और कद्दू आदि के पौधे लगाए हैं जिनमें सब्जियां भी हो रही हैं. वह रोजमर्रा के इस्तेमाल में अपने किचन गार्डेन की सब्जियों को ही उपयोग में लाते हैं और यह खाने में काफी स्वादिष्ट होती है.

Last Updated : Apr 8, 2023, 10:16 PM IST

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