बजट पर लोगों की राय, पार्ट-1 जयपुर. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बुधवार को बजट पेश किए जाने के बाद जयपुर में ईटीवी भारत की ओर से विशेष चर्चा का आयोजन किया गया. इस चर्चा के दौरान करों में राहत के मसले पर युवा चार्टेड अकाउंटेंट रौनक अग्रवाल ने बताया कि नौकरी पेशा और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर बजट पेश किया गया था. वहीं, ज्वैलरी कारोबारी और फोर्टी महिला विंग की संयुक्त सचिव माही ने बताया कि गहनों के कारोबार में बजट के बाद आने वाली महंगाई आम आदमी को परेशान कर सकती है. इस बीच चार्टेड अकाउंटेंट निवेदिता सारड़ा ने बजट को आशा के अनुरूप बताते हुए बेहतर बताया. जबकि किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि इस बजट के बाद किसान को बात करने के लिए कुछ नहीं बचा है.
MSME और स्टार्टअप्स को मिलेगा बूस्टर : आर्थिक मामलों को जानकार और चार्टेड अकाउंटेट निवेदिता सारड़ा ने निर्मला सीतारमण के पांचवें बजट को MSME सेक्टर के लिए राहत भरा कम बताया. इस दौरान तीन अलग-अलग कदमों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना की मार झेल रहा छोटा और मझला उद्योग इस घोषणा के बाद राहत महसूस करेगा. हालांकि, इस चर्चा में उन्होंने कुशल और अकुशल श्रमिक को लेकर नीतियों में स्पष्टीकरण नहीं रखे जाने पर मोदी सरकार की नीयत पर सवाल भी खड़ा किया. सारड़ा ने माना कि सरकार ने स्टार्टअप के लिए भी प्रावधान बजट में किए हैं. वोकल फोर लोकल के नारे को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेशी दौरों की तुलना में देसी पर्यटन पर जोर दिया है. एक नजरिए से यह राहत भरा कदम समझा जाना चाहिए. इसके अलावा राज्यों में पर्यटन के विकास पर मोदी सरकार के नजरिए को भी उन्होंने सराहा.
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किसान का हाल रहेगा बेहाल : किसान महापंचायत रामपाल जाट ने कहा कि इस बजट पर किसान का रिएक्शन लिया जाना पूरी तरह से बेमानी है. जिस तरह से 2009 में बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में किसान को ऋण मुक्त बनाने का वादा किया था, उस तरह से सालों बाद भी काम होता नहीं दिख रहा है. मिलेट्स की बात जरूर बजट में की गई, लेकिन बाजरे पर समर्थन मूल्य को लेकर किसान का इंतजार आज भी जस का तस ही है. जाट ने जलशक्ति मंत्री राजस्थान से होने के बावजूद ईआरसीपी के मसले पर कोई घोषणा नहीं होने पर हैरानी जताई. उन्होंने कहा कि उम्मीद इस बात को लेकर थी कि तेरह जिलों की यह लड़ाई राष्ट्रीय परियोजना के दर्जे से पूरी हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं, रामपाल जाट ने किसान के लिए जरूरी खाद-बीज और उपकरणों पर लगने वाले करों में भी राहत की मांग को अधूरा छोड़ने पर नाराजगी जताई है.
कर में राहत, पर अधूरी : सीए रौनक अग्रवाल ने कहा कि आयकर के मामले में सरकार से कई पहलुओं पर राहत की उम्मीद की जा रही थी. खास तौर पर 80D को लेकर, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. यहां तक कि होम लोन पर ब्याज को लेकर छूट का दायरा बढ़ाने की उम्मीद में भी निराशा ही हाथ लगी है. रौनक ने बताया कि मध्यम वर्ग के लिए प्रत्यक्ष रूप से 7 लाख रुपए की आय पर टैक्स नहीं लगाकर सरकार ने राहत देने का प्रयास जरूर किया है. वहीं, जीएसटी के स्लैब और सरलीकरण के मसले को अधूरा छोड़ दिए जाने पर उन्होंने हैरानी भी जताई.
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आम महिला होगी निराश : ज्वैलरी कारोबारी और फोर्टी महिला विंग की संयुक्त सचिव माही ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को लेकर सोने-चांदी पर बढ़ाई गई इम्पोर्ट ड्यूटी को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद लोगों ने सुरक्षित निवेश समझ कर जेवरात में खर्च करना शुरू किया था. इस बीच चांदी और सोने के महंगे होने का सीधा असर पर ज्वैलरी कारोबार पर दिखेगा. साथ ही उन्होंने बताया कि एक गृहणी होने के नाते रसोई के बजट में भी वह राहत तलाश कर रही थी, लेकिन ऐसा कुछ बजट में नजर नहीं आया.