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कांग्रेस का विरोध, त्रिकोणीय संघर्ष और जीत की कहानी...यहां समझिए गुढ़ा का 'गणित' - निर्दलीय ताल ठोके सकते हैं गुढ़ा

Rajendra Gudha Controversy, राजेंद्र गुढ़ा की बर्खास्तगी पर राजस्थान में राजनीति चरम पर है. सियासी उठापटक के बीच माना जा रहा है कि सोमवार को विधानसभा में गुढ़ा कांग्रेस का और कड़ा विरोध कर सकते हैं, क्योंकि उनकी बर्खास्तगी का दूसरा पहलू भी है. यहां जानिए पूरा गणित...

Rajendra Gudha Dismissal
ओवैसी के साथ गुढ़ा

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Published : Jul 22, 2023, 8:39 AM IST

जयपुर. राजेंद्र गुढ़ा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है. इस मामले को लेकर राजस्थान में जमकर सियासत हो रही है, क्योंकि मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने अपनी ही सरकार को महिला सुरक्षा के मामले में विधानसभा में बयान देकर कटघरे में खड़ा कर दिया था. कहा जा रहा है कि इसी बयान को लेकर उनपर गाज गिरी है. आपको बता दें कि गुढ़ा के एक के बाद एक बयानों के कारण गहलोत और कांग्रेस तो उनसे मुक्ति चाह रहे थे, लेकिन इस पूरे मामले का दूसरा पहलू यह भी है कि पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा खुद भी गहलोत सरकार से बाहर आना चाहते थे. इन सबके बीच यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा कि राजेंद्र गुढ़ा तो अब चाहते हैं कि कांग्रेस उन्हें पार्टी से भी निकाल दे, ताकि वो विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकें.

ओवैसी की पार्टी, बसपा नहीं तो निर्दलीय ताल ठोके सकते हैं गुढ़ा : राजेंद्र गुढ़ा ने अब तक 3 चुनाव लड़े हैं, जिनमें से गुढ़ा 2 चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. खास बात यह है कि जो दो विधानसभा चुनाव 2008 और 2018 में राजेंद्र गुढ़ा जीते हैं. दोनों ही बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीते हैं और जब उन्होंने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा तो उन्हें हार नसीब हुई. यह अलग बात है कि जीतने के साथ ही राजेंद्र गुढ़ा दोनों बार बसपा के विधायकों को लेकर कांग्रेस में शामिल हुए और दोनों बार मंत्री भी बने.

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उदयपुरवाटी विधानसभा में गुढ़ा के लिए त्रिकोणीय संघर्ष जरूरी : उदयपुरवाटी विधानसभा, जहां से राजेंद्र गुढ़ा दो बार चुनाव जीते हैं. उदयपुरवाटी विधानसभा के जातिगत और राजनीतिक समीकरण ऐसे हैं जिनमें राजेंद्र गुढ़ा के लिए यही बेहतर है कि वह कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के टिकट से चुनाव नहीं लड़ कर किसी तीसरी ताकत के साथ चुनाव लड़ें. वहीं, अब चुनाव से ठीक पहले राजेंद्र गुढ़ा ने जिस तरह गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया वह सब बताता है कि राजेंद्र गुढ़ा खुद नहीं चाहते कि वह कांग्रेस के साथ रहें.

अब क्योंकि राजेंद्र गुढ़ा दो बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर दोनों बार बसपा को छोड़ चुके हैं, ऐसे में तीसरी बार बसपा उन पर भरोसा करे यह मुश्किल दिखाई देता है. यही कारण है कि राजेंद्र गुढ़ा बीते दिनों एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के साथ मीटिंग कर चुके हैं और इसकी भी संभावना है कि वह ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ लें. यह दोनों फॉर्मूले नहीं बैठते हैं तो वह निर्दलीय भी चुनाव में ताल ठोक सकते हैं, लेकिन इससे पहले गुढ़ा का टारगेट यह है कि कांग्रेस पार्टी उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दे. ऐसे में साफ है कि सोमवार को विधानसभा में जब राजेंद्र गुढ़ा पहुंचें तो वह इस तरह से गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलें कि कांग्रेस को उन्हें पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखाना पड़े.

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