जयपुर.बीते 5 साल में राज्य सरकार ने हर बजट में बढ़-चढ़कर युवा बेरोजगारों के लिए भर्तियों का ऐलान किया. कांग्रेस सरकार 5 साल में 2.97 लाख नौकरियां देने का दंभ भर रही है. जबकि इनमें से अधिकतर भर्तियां पिछली सरकार की लंबित थी फिर भी सरकार की घोषणाओं के अनुसार अभी भी करीब 81 हजार भर्तियां होनी शेष हैं. इन सबके बीच विभिन्न पदों पर हुई भर्ती परीक्षाओं ने पेपर लीक का दंश झेला, जिसकी वजह से ये परीक्षाएं रद्द हुई और युवाओं को मायूसी हाथ लगी. ऐसे में अब युवा इसका हिसाब विधानसभा चुनाव में लेने की बात कह रहे हैं.
गहलोत सरकार का दावा :देश में युवाओं की बात करने वाला उनके हितों में फैसला लेने वाला सत्ता की कुर्सी पर काबिज होगा. इसी धारणा को मानते हुए राजनीतिक दलों के प्रमुख चुनावी मुद्दों में युवाओं के लिए रोजगार एक अहम घोषणा के रूप में शामिल होती है. कांग्रेस सरकार ने भी सत्ता में आने के साथ ही पहले बजट में 75 हजार, दूसरे बजट में 53 हजार, तीसरे बजट में 50 हजार, चौथे बजट में एक लाख और आखिरी बजट को युवाओं को केंद्रित करते हुए 1 लाख नौकरियों का ऐलान किया. राज्य सरकार का दावा है कि उन्होंने 2.97 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरी दी है. जबकि 40 हजार सरकारी नौकरियां पाइप लाइन में हैं, लेकिन युवाओं को सबसे बड़ा धक्का प्रदेश में हुए पेपर लीक के मामलों से लगा है. इसकी वजह से हजारों पदों पर की गई भर्ती परीक्षाएं रद्द हो गई. जबकि हजारों पदों पर अभी भी प्रदेश के युवा बेरोजगारों को भर्ती का इंतजार है.
इसे भी पढ़ें -Rajasthan Assembly Election 2023 : उपेन यादव ने किया विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान, सीट और पार्टी को लेकर कही ये बड़ी बात
नौकरियों पर भारी पेपर लीक :हालांकि, इन भर्तियों पर कहीं न कहीं पेपर लीक भारी रहा. बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेंद्र यादव ने कहा कि प्रदेश में 30 से 40 लाख शिक्षित युवा बेरोजगार है और एक व्यक्ति से चार से पांच सदस्य जुड़े हैं. ऐसे में करीब 2 करोड़ वोट युवा बेरोजगारों से जुड़े हुए हैं, जो चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पेपर लीक, बेरोजगारी और नौकरियों के मुद्दे को जो राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में स्थान देगा, युवाओं का मत उन्हें ही मिलेगा.