जयपुर.देश के साथ गद्दारी करने वाले ऐसे सेना के जवान या फिर आम नागरिक जो चंद रुपयों के लालच में आकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने का काम करते हैं, उनके खिलाफ राजस्थान पुलिस की इंटेलिजेंस शाखा की स्टेट स्पेशल ब्रांच काफी सख्त एक्शन लेती है. समय-समय पर इंटेलिजेंस शाखा की ओर से अन्य सुरक्षा एजेंसी के साथ मिलकर ऑपरेशन सरहद और ऑपरेशन निगहबानी चलाया जाता है. जिसके तहत संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जाती है और ऐसे लोग जिनकी संलिप्तता पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से पाई जाती है, उन्हें स्टेट स्पेशल ब्रांच द्वारा शासकीय गुप्त बात अधिनियम-1923 के तहत गिरफ्तार कर अग्रिम अनुसंधान किया जाता है. राजस्थान में गिरफ्तार हुए पाक जासूसों (Pak spy arrested in Rajasthan) के बारे में अधिकतर जानकारी मिलिट्री की इंटेलिजेंस शाखा की ओर से ही राजस्थान पुलिस की इंटेलिजेंस विंग को दी जाती है.
हनीट्रैप का शिकार कर बनाए जाते हैं जासूस- राजस्थान इंटेलिजेंस के एडीजी एस. सेंगाथिर ने बताया कि भारतीय सेना के जवान और अन्य लोगों को हनीट्रैप के जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी अपने जाल में फंसाती हैं. इसके लिए बकायदा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने महिलाओं की स्पेशल विंग बनाई है. जो विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से उन लोगों को अपना निशाना बनाती हैं, जिनसे भारतीय सेना से जुड़ी हुई सामरिक महत्व की सूचनाएं उन्हें हासिल करनी होती हैं. हनीट्रैप के जाल में फंसाने के बाद भारतीय सेना से जुड़ी हुई सामरिक महत्व की सूचनाएं भेजने वाले पाक जासूस को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की ओर से धनराशि भी उपलब्ध करवाई जाती हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी धनराशि सीधा पाक जासूस के बैंक खाते में जमा न कराकर उनके रिश्तेदारों या दोस्तों के खाते में जमा कराती है.
वर्ष 2022 में राजस्थान पुलिस ने 2022 में 11 पाकिस्तानी जासूसों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने गद्दारों को ऐसे गिरफ्तार किया.
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व्हाट्सएप और फेसबुक के जरिए भेजी जाती हैं सूचनाएं- एडीजी एस. सेंगाथिर ने बताया कि जितने भी पाक जासूस गिरफ्तार किए गए हैं. उनके जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी तक भारतीय सेना जुड़ी हुई जितनी भी सामरिक महत्व की सूचनाएं भेजी गई हैं, वह तमाम सूचनाएं व्हाट्सएप और फेसबुक के जरिए भेजा जाना पाया गया है. पाक जासूस व्हाट्सएप कॉल और फेसबुक मैसेंजर के जरिए सेना से जुड़ी हुई सामरिक महत्व की सूचनाएं, जिनमें फोटो, नक्शे और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं, उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ साझा करते हैं. पुलिस मुख्यालय की इंटेलिजेंस विंग की तकनीकी शाखा ऐसे तमाम सोशल मीडिया अकाउंट पर निगरानी रखती है. ऐसे अकाउंट को वेरीफाई करने के बाद उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है जो देश के साथ गद्दारी कर रहा है. ऐसे व्यक्ति पर टेक्निकल सर्विलांस के जरिए लगातार निगरानी रखी जाती है और बिना देरी किए पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले गद्दार को दबोचा जाता है.