जयपुर.बीते गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में मृत शरीर का सम्मान विधेयक—2023 ध्वनिमत के साथ पारित हो गया. इससे पहले चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने इस बिल के बहस पर जवाब दिया और आंकड़ों को पेश किया. इन आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान कांग्रेस सरकार के राज में साल 2019 से लेकर 2023 तक प्रदेश में शवों के साथ प्रदर्शन की 306 घटनाएं हुई. इससे पहले बीजेपी राज में 82 घटनाओं का जिक्र आता है. ऐसे में धारीवाल ने कानून बनाने की जरूरत को बताते हुए कहा कि इन आंकड़ों पर सख्त प्रावधानों से ही अंकुश लगेगा. धारीवाल ने वसुंधरा राजे सरकार के दौरान नवंबर 2016 की कलेक्टर कॉन्फ्रेंस का जिक्र करते हुआ कहा था कि एक दिन की चर्चा में इस दरमियान डेड बॉडी के साथ होने वाले प्रदर्शन को लेकर कानून की मांग तब भी की गई थी.
शव के साथ प्रदर्शन के जरिए सरकारी नौकरी की मांग की प्रवृति लगातार बढ़ रही है. हालांकि नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इससे पहले बहस के दौरान कहा था कि यह कानून मीसा और डीआरआई जैसे कानूनों की याद दिला रहा है. वहीं आदिवासी क्षेत्रों के विधायकों का कहना था कि ट्राइबल बेल्ट में किसी हादसे में मौत पर दूसरे पक्ष से मौताणे या कहे कि मुआवजे की परंपरा है. ऐसे में यह बिल आदिवासी संस्कृति और नियमों के खिलाफ है. जाहिर है कि राज्य के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, बारां, प्रतापगढ़ जैसे आदिवासी बाहुल्य जिलों में मौताणा लेने की आदिवासी परंपरा है. इसके अलावा प्रदेश के कई इलाकों में इस तरह के मामलों में इजाफा हुआ है. इसमें सरकार का तर्क है कि प्रदेश में ऐसे अन्यायपूर्ण मामले बढ़ रहे हैं, जिन्हें रोकने के लिए कानून की जरुरत थी. वहीं डेड बॉडी के डेटा, डीएनए प्रोफाइलिंग, डिजिटलाइजेशन से जेनेटिक डाटा स्टोर करना जरुरी हो गया है. इस प्रकार के मामलों में गोपनीयता भंग होने से भी परेशानी हो रही है, जिसके लिए कानून बनाना जरुरी हो गया है.
शव के साथ प्रदर्शन के चर्चित मामले :
- अक्टूबर 2006 में श्रीगंगानगर में किसान चंदूराम की पुलिस लाठीचार्ज से कथित मौत के बाद शव के साथ प्रदर्शन के बीच भड़का किसान आंदोलन
- मई 2008 में सिकंदरा में हुई पुलिस फायरिंग में मारे गये 15 लोगों के शवों का अंतिम संस्कार लंबे समय तक नहीं किया गया था
- 13 जून 2005 को टोंक के सोहेला में सिंचाई के पानी की मांग पर किसानों के प्रदर्शन के बीच पुलिस फायरिंग के विरोध में शवों के साथ प्रदर्शन
- 13 जुलाई 2017 को 19 दिन तक शव के साथ प्रदर्शन के बाद हुआ गैंगस्टर आनंदपाल के शव का अंतिम संस्कार
- 11 अप्रैल 2021 को किरोड़ी लाल मीणा ने दौसा के शंभू पुजारी के शव के साथ सीएम हाउस के नजदीक सिविल लाइंस फाटक दिया धरना
- 10 जून 2022 को सीकर के खंडेला में वकील की खुदकुशी के बाद परिजनों ने किया था शव लेने से इनकार
- 21 जून 2023 बीकानेर के खाजूवाला में दलित युवती की दुष्कर्म के बाद मौत के मामले में 36 घंटे तक चला शव के साथ प्रदर्शन
- 24 जून 2023 चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा में हादसे का शिकार दो युवकों के शव के साथ रास्ता रोककर प्रदर्शन किया गया
- 27 जून 2023 को बाड़मेर में पूर्व सरपंच की हत्या के बाद शव को डीप फ्रीज में रखकर प्रदर्शन
- 19 जुलाई 2023 को जोधपुर के ओसियां में सामूहिक हत्याकांड के 48 घंटों बाद भी मांगों को लेकर गतिरोध के बीच शवों का अंतिम संस्कार नहीं हुआ