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छात्र संघ चुनाव 2022, RU के विद्यार्थी छात्र संगठनों से ज्यादा मुद्दों पर करते हैं फोकस - Student Union Election 2022 in Rajasthan

राजस्थान विश्वविद्यालय में 26 अगस्त को छात्र संघ का चुनाव होना है. इस चुनाव में भले ही बड़े संगठन जीत के दावे कर रहे हों, लेकिन आरयू का इतिहास यहां की अलग ही कहानी बयां कर रहा है. कैम्पस का युवा और उच्च शिक्षित मतदाता प्रत्याशी के व्यक्तित्व पर ज्यादा ध्यान देता है. उसके बाद किसी पार्टी की विचारधारा को. देखिए ये रिपोर्ट.

Rajasthan Student Union Election 2022
छात्र संघ चुनाव 2022

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Published : Aug 24, 2022, 12:49 PM IST

Updated : Aug 24, 2022, 5:06 PM IST

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में 38वें अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रचार (Election Campaign in Rajasthan University) जोरों पर है. 26 अगस्त को होने वाले इस चुनाव (Rajasthan Student Union Election 2022) में भले ही बड़े संगठन जीत के दावे कर रहे हों, लेकिन आरयू का इतिहास यहां की अलग ही कहानी बयां कर रहा है. दरअसल, छात्रसंघ चुनावों का इतिहास 55 साल पुराना है. यहां चुनाव की शुरुआत 1967 से हुई. तब से लेकर आज तक राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) को 37 अध्यक्ष मिल चुके हैं और 38वें अध्यक्ष के लिए 26 अगस्त को चुनाव होने जा रहे हैं. वैसे दो बड़े संगठन यहां जीतने के लिए मैदान में उतरते हैं, लेकिन अब तक का इतिहास देखें तो बाजी किसी और ने ही मारी है.

राजनीति की पहली सीढ़ी यानी छात्रसंघ चुनाव (Student Union Election 2022) जिसका इंतजार दो साल से छात्र कर रहे थे, वो इंतजार खत्म हो चुका है. 26 अगस्त को छात्रसंघ चुनाव को लेकर मतदान होगा और 27 अगस्त को राजस्थान विश्वविद्यालय को अपना 38वां छात्रसंघ अध्यक्ष मिल जाएगा. इन चुनावों में ना केवल दोनों प्रमुख छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआई बल्कि निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी अभियान में जुटे हुए हैं. टिकट के दावेदार छात्र नेता अब विवि से बाहर निकल कर गांव-गांव जाकर छात्रों से सम्पर्क साधने में लगे हैं.

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राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) में भले ही एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच सीधी टक्कर मानी जाती है, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी भी कम नहीं है. पिछले चार चुनावों में दोनों ही छात्र संगठनों को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बागी होकर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों से मुंह की खानी पड़ी है और छात्र संघ अध्यक्ष का ताज निर्दलीय प्रत्याशियों के सिर सजा है. ऐसे में दो साल बाद इस साल होने जा रहे छात्र संघ चुनावों में एनएसयूआई और एबीवीपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी की वो हार से सिलसिले को खत्म करते हुए जीत का परचम फहराए.

राजस्थान यूनिवर्सिटी में अब तक के छात्रसंघ अध्यक्ष :

नामवर्षनामवर्ष
आदर्श किशोर सक्सेना 1967-68 हनुमान बेनीवाल 1997-98
ज्ञान सिंह चौधरी 1968-69 रणवीर सिंह गुढ़ा 1998-99
हुकुम सिंह 1969-70 राजकुमार शर्मा 1999-2000
भरत पंवार 1970-71 अशोक लाहोटी 2000-01
विजय प्रभाकर 1971-72 नगेंद्र सिंह शेखावत 2001-02
विमल चौधरी 1973-74 पुष्पेंद्र भारद्वाज 2002-03
काली चरण सराफ 1974-75 जितेंद्र मीणा 2003-04
राजेंद्र राठौड़ 1978-79 राजपाल शर्मा 2004-05
महेश जोशी 1979-80 मनीष यादव 2010-11
राजपाल सिंह शेखावत 1980-81 प्रभा चौधरी 2011-12
रघु शर्मा 1981-86 राजेश मीणा 2012-13
चंद्रशेखर 1986-89 काना राम जाट 2013-14
प्रणवेंद्र शर्मा 1989-91 अनिल चौपड़ा 2014-15
अखिल शुक्ला 1991-92 सतवीर चौधरी 2015-16
प्रताप सिंह खाचरियावास 1992-93 अंकित धायल 2016-17
जितेंद्र श्रीमाली 1993-94 पवन यादव 2017-18
सोमेंद्र शर्मा 1994-95 विनोद जाखड़ 2018-19
महेंद्र चौधरी 1995-96 पूजा वर्मा 2019-22
श्याम शर्मा 1996-97 नोट- दो साल कोरोना काल में चुनाव नहीं हुए.

राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनावों का एक और इतिहास यह है कि अब तक के चुनावों में दो ही छात्रा अध्यक्ष पद पर काबिज हो सकी है. पहली प्रभा चौधरी और दूसरी पूजा वर्मा. ये दोनों ही निर्दलीय रही हैं. जबकि आरयू में अब तक विजयी रहे निर्दलीय प्रत्याशियों की फेहरिस्‍त देखे तो संगठनों की अपेक्षा कहीं अधिक है.

निर्दलीय प्रत्याशियों का वर्चस्व- प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय में चुनावों का इतिहास देखें तो पार्टी प्रत्याशियों से ज्यादा यहां निर्दलीय प्रत्याशियों का वर्चस्व रहा है. अब तक के चुनावों में देखा गया है कि पार्टी की पसंद के उम्मीदवारों को वोट नहीं डाले जाते बल्कि प्रत्याशी के वर्चस्व को महत्वपूर्ण माना जाता है. यहां भले ही एनएसयूआई और एबीवीपी के अपने-अपने दावे हों, लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार एबीवीपी कैम्पस में अब तक के चुनावों में दूसरे और एनएसयूआई तीसरे स्थान पर रही है. यहां सबसे ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशियों का दबदबा रहा है.

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  • निर्दलीय 19 छात्रसंघ अध्यक्ष- ज्ञानसिंह चौधरी, विमल चौधरी, राजेन्द्र राठौड़, महेश जोशी, राजपाल सिंह शेखावत, रघु शर्मा, प्रताप सिंह खाचरियावास, जितेन्द्र श्रीमाली, सोमेन्द्र शर्मा, महेन्द्र चौधरी, हनुमान बेनीवाल, रणवीर सिंह गुढ़ा, राजकुमार शर्मा, राजपाल शर्मा, प्रभा चौधरी, अंकित धायल, पवन यादव, विनोद जाखड़ और पूजा वर्मा.
  • एनएसयूआई से 4 छात्रसंघ अध्यक्ष-नगेन्द्र सिंह शेखावत, पुष्पेन्द्र भारद्वाज, अनिल चौपड़ा और सतवीर चौधरी.
  • एबीवीपी से 9 छात्रसंघ अध्यक्ष-कालीचरण सराफ, प्रणवेन्द्र शर्मा, अखिल शुक्ला, श्याम शर्मा, अशोक लाहोटी, जितेन्द्र मीणा, मनीष यादव, राजेश मीणा, कानाराम जाट.
    चुनाव प्रचार करते एबीवीपी

हालांकि, सबसे पहले 1967-68 में अध्यक्ष चुने गए आदर्श किशोर सक्सेना अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए. इनके अलावा विजय प्रभाकर और भरत सिंह पंवार कांग्रेस समर्थित रहे, हुकुम सिंह कम्युनिस्ट पार्टी से थे. वहीं, चन्द्रशेखर एनएसयूआई समर्थित प्रत्याशी थे, जो छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए. 2016 से 2019 तक हुए छात्रसंघ चुनावों में तो विश्वविद्यालय के छात्रों ने बता दिया कि एबीवीपी और एनएसयूआई से उनका मोह भंग हो चुका है या फिर इन संगठनों की ओर टिकट देने में लापरवाही बरती गई. नतीजन पहले एबीवीपी से बागी हुए अंकित धायल और पवन यादव ने निर्दलीय के रूप में जीत की हासिल और उसके बाद एनएसयूआई से बागी विनोद जाखड़ और पूजा वर्मा ने निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की.

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वहीं, इस बार कांग्रेस सरकार में मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल एनएसयूआई से बगावत कर मैदान में उतर रही है. इससे पहले भी कांग्रेस सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के भतीजे दुष्यंत सिंह ने एनएसयूआई से बगावत की थी. हालांकि उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी. लेकिन इन दो उदाहरणोंं से स्पष्ट है कि छात्र राजनीति ने मुख्यधारा की पॉलिटिक्स और पॉलीटिशियन को भी मुंह चिढ़ाया है. कुल मिलाकर कैम्पस का युवा और उच्च शिक्षित मतदाता प्रत्याशी के व्यक्तित्व पर ज्यादा ध्यान देता है. उसके बाद किसी पार्टी की विचारधारा को. इसकी वजह ये भी है कि कैम्पस से चुने जाने वाले नेता से अपेक्षा की जाती है कि जीतने के बाद वो पार्टी के बजाए छात्रों पर फोकस करे.

Last Updated : Aug 24, 2022, 5:06 PM IST

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