जयपुर. जिसको आगे बढ़ना है, उसको अपमान के घूंट पीना सीखना चाहिए. सीएम अशोक गहलोत राज्य स्तरीय शैक्षिक सम्मेलन के मंच से ये बात कही. जिसके मायने पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर तंज के रूप निकाले जा रहे हैं. एक दिन पहले ही उन्होंने सचिन पायलट को साफ तौर पर गद्दार बताते हुए सवाल उठाया था कि प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए जिसने पार्टी से बगावत की, वो कैसे सीएम बन सकता है. हालांकि, गहलोत ने अपमान का घूंट पीना सीखने की बात डॉ. अंबेडकर और गांधीजी से जोड़ते हुए कही थी.
राजस्थान शिक्षक संघ अंबेडकर की ओर से (Rajasthan Shikshak Sammelan 2022) आयोजित राज्य स्तरीय शैक्षिक सम्मेलन में पहुंचे सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जिसे आगे बढ़ना है, उसे अपमान का घूंट पीना सीखना चाहिए. अगर अंबेडकर और गांधी जी ने अपमान का घूंट नहीं पिया होता, तो देश और दुनिया में उनका नाम नहीं होता. सीएम ने आगे बाबासाहेब को याद करते हुए कहा की छुआछूत मानवता के लिए सबसे बड़ा कलंक है. इसे दूर करने के लिए बाबा साहेब ने संविधान का निर्माण किया और समानता का अधिकार दिया. अगर लोकतंत्र नहीं होता तो गरीब को कौन पूछता?. अंबेडकर ने आजादी के साथ ही महिला-पुरुषों को समानता का अधिकार दिया. शिक्षित बनो-संघर्ष करो-आगे बढ़ो का नारा दिया जो आज भी जीवंत है.
उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक पार्टी से (Rajasthan Political Crisis) टिकट मांगते हैं, टिकट मिलता है तो जाति एकता की बात करते हैं. वर्ग की बात कोई नहीं करता. लेकिन राजस्थान पहला ऐसा राज्य है जिसमें प्रमोशन में आरक्षण को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी गई, और इसे लागू भी किया गया. उन्होंने कहा कि देश में पूर्वर्ती यूपीए गवर्नमेंट को बदनाम किया गया. आरएसएस और बीजेपी ने अन्ना हजारे को लोकपाल और काला धन के नाम पर धरने पर बैठा दिया. 2G स्पेक्ट्रम, कोलगेट, काला धन के नाम पर बदनाम किया. लेकिन आज इसकी कोई चर्चा नहीं करता. अगर किसी ने बेईमानी की थी तो जेल में क्यों नहीं डाला गया. आज धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है, लेकिन आग लगाना आसान है बुझाना बहुत मुश्किल होता है.
इस दौरान उन्होंने प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना, इंदिरा रसोई योजना का भी जिक्र किया. साथ ही बताया कि गांव में 100 की बजाए अब 125 दिन का रोजगार दिया जा रहा है. छात्रों को फ्री कोचिंग दी जा रही है. स्कूटी दे रहे हैं, साइकिल दे रहे हैं. आवासीय विद्यालय बना रहे हैं, और विदेश भेजने के लिए भी मेरिट के आधार पर 200 से ज्यादा बच्चों को 50 लाख से एक करोड़ जो भी खर्चा हो रहा है वो सरकार दे रही है. उन्होंने कहा कि इन छात्रों में एसटी-एससी के बच्चे हैं या नहीं इसकी जानकारी नहीं, लेकिन कोशिश करनी होगी की एसटी-एससी के बच्चे भी विदेशों में जाकर पढ़ाई करें.
उन्होंने कहा कि देश में फालतू की बहस की जाती है कि अंबेडकर और नेहरू की नहीं बनती थी. सुभाष चंद्र बोस और नेहरू की नहीं बनती थी. ये फालतू की बहस है, उनके मतभेद हो सकते थे, लेकिन मन भेद नहीं होते थे. क्योंकि उद्देश्य एक होता था. सत्ता में ऐसे झूठे लोग आकर बैठ गए हैं, जो झूठ बोलते रहते हैं. इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हैं. ये फासीवादी प्रवृत्ति है. लेकिन लोकतंत्र जिंदा रहेगा, तभी आने वाली पीढ़ी का भला होगा. लोकतंत्र में गरीब के पास वोट की ताकत है, जिसके लिए बड़े से बड़े लोग उसके सामने झुकते हैं.