राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

RAJASTHAN SEAT SCAN: निर्दलीयों के लिए स्वर्ग है जयपुर की बस्सी विधानसभा सीट, भाजपा-कांग्रेस को बुरी तरह हरा रही जनता, क्या अबकी बदलेगा ट्रेंड

राजस्थान विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होना है. इसे देखते हुए सभी राजनीतिक दल चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. इस बीच आज हम आपको जयपुर की बस्सी विधानसभा सीट के बारे में बता रहे हैं. इस सीट का अपना अलग ही मिजाज रहा है. यहां पिछले तीन चुनावों से निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीत रहे हैं.

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023

By

Published : May 27, 2023, 5:18 PM IST

Updated : Dec 1, 2023, 6:13 PM IST

जयपुर.अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए रिज़र्व जयपुर की बस्सी विधानसभा सीट राजस्थान की ऐसी विधानसभा बन चुकी है, जहां की पिछले 3 विधानसभा चुनावों से कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो रही है. पिछले चुनाव में भले ही भाजपा प्रत्याशी कन्हैयालाल कहने को दूसरे स्थान पर रहे हो, लेकिन निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ विधायक बने लक्ष्मण मीणा की जीत का अंतर उन्हें मिले वोट से भी अधिक था. वहीं, साल 2008 और साल 2013 में तो भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे और चौथे नंबर पर रहे थे. ऐसे में बस्सी विधानसभा राजस्थान की ऐसी विधानसभा बन चुकी है, जहां दोनों पार्टियां निर्दलीय प्रत्याशियों के सामने संघर्ष करती नजर आती हैं.

बस्सी सीट का स्वरूप

पार्टी का टिकट मिले तो जमानत जब्त और निर्दलीय लड़ते ही जीत -बस्सी विधानसभा राजस्थान की एक मात्र विधानसभा है, जिसमें पिछले तीन चुनावों से निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनाव जीत रहे हैं. 2008, 2013 और 2018 तीनों चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी निर्दलीयों से बुरी तरह हार का सामना कर रहे हैं और आश्चर्य की बात तो यह है कि जिन प्रत्याशियों को पार्टी अपना टिकट देती है तो उन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो जाती है. वहीं, जब पार्टी उस प्रत्याशी का टिकट काटकर किसी दूसरे पर दांव लगाती है तो जमानत जब्त करवा चुके नेता को बस्सी की जनता विधायक बना देती है. ऐसे में दोनों ही पार्टियां कंफ्यूज है कि वो बस्सी विधानसभा में क्या रणनीति अपनाएं. इतना ही नहीं बस्सी विधानसभा से नेता भी नहीं चाहते हैं कि वह पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े.

2018 में बस्सी के परिणाम

भाजपा में टिकट के दावेदार - लगातार 4 चुनाव जीत लागातार 3 चुनाव हार चुके कन्हैया लाल फिर भाजपा से टिकट मांग रहे हैं. हालांकि, भाजपा के एसटी मोर्चा अध्यक्ष जितेंद्र मीणा ने भी यहां से टिकट की दावेदारी पेश की है तो वहीं रेस में अजय मीणा भी बने हुए हैं. बस्सी विधानसभा से 1990 में पहली बार निर्दलीय के तौर पर विधायक बने कन्हैया लाल मीणा 1993, 1998 और 2003 में लगातार विधायक बने. साथ ही उन्हें जिला मंत्री भी बनाया गया, लेकिन 2008 से बाद अब तक हुए 3 चुनाव में कन्हैया लाल मीणा निर्दलीय और भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर बुरी हार झेल चुके हैं. ऐसे में अब भाजपा बस्सी विधानसभा पर नए चेहरे पर दाव लगा सकती है. जिसमें राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष रहे और वर्तमान में भाजपा एसटी मोर्चा के अध्यक्ष जितेंद्र मीणा का नाम सबसे आगे है और जितेंद्र मीणा ने बस्सी विधानसभा में पसीना बहाना शुरू भी कर दिया है. वहीं अजय मीणा भी टिकट की रेस में बने हुए हैं. हालांकि, बस्सी विधानसभा के पिछले नतीजे देखते हुए ये प्रत्याशी भी इस डर में है कि कहीं पार्टी का टिकट मिलने के बाद जनता इन्हें नकार न दे.

पिछले तीन चुनावों के हाल

इसे भी पढे़ं - RAJASTHAN SEAT SCAN: त्रिकोण में फंसी सीट है सादुलपुर, 1993 के बाद कोई भी विधायक नहीं हुआ रिपीट

बस्सी में कांग्रेस का टिकट बना हार की निशानी -भाजपा के हालात तो बस्सी में फिर भी कांग्रेस से खराब नहीं है. ऐसे हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि वो तो पिछले 3 बार से ही बस्सी में चुनाव हार रही है, लेकिन कांग्रेस का रिकॉर्ड तो इस सीट पर इतना खराब है कि साल 1990 से लेकर 2018 तक हुए 7 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई. 2018 में चुनाव जीते लक्ष्मण मीणा को कांग्रेस ने 2013 में टिकट दिया तो वह नंबर 3 पर रहे और जब इस बार उनका कांग्रेस ने टिकट काटा तो वह निर्दलीय के रूप में चुनाव जीत गए.

वर्तमान निर्दलीय विधायक लक्ष्मण मीणा

इस बार भी लक्ष्मण मीणा विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. लेकिन वह कांग्रेस के साथ जाएंगे या निर्दलीय ही ताल ठोकेंगे या आने वाला समय बताएगा लक्ष्मण मीणा के साथ ही कांग्रेस के टिकट पर पिछली बार चुनाव लड़ चुके दौलत मीणा इस बार भी रेस में बने हुए हैं ,तो वही पूर्व आईएएस पी डी मीणा का परिवार ज्यादातर समय कांग्रेस से टिकट लेता रहा है हालांकि जीत अब तक इस परिवार को नहीं मिली है. इस बार भी पीडी मीणा परिवार के आईएएस चंद्रमोहन मीणा टिकट के दावेदार है लेकिन उन्होंने अब तक कांग्रेस पार्टी ज्वाइन नहीं कि है.

पूर्व मंत्री कन्हैया लाल मीणा

पिछले चुनाव में मिली हार, लेकिन 2 बार निर्दलीय विधायक रही अंजू धानका - बस्सी विधानसभा से 2008 और 2013 में लगातार दो बार निर्दलीय विधायक बनी अंजू धानका भले ही पिछला चुनाव निर्दलीय लक्ष्मण मीणा से हार गई हो, लेकिन इस बार भी कहा जा रहा है कि अंजू धानका चुनावी मैदान में उतरेंगी.

पूर्व निर्दलीय विधायक अंजू धानका

किरोड़ी मीणा का इस सीट पर है प्रभाव -मीणा बाहुल्य सीट होने के चलते भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा का भी इस सीट पर जबरदस्त प्रभाव है. 2013 में भी किरोड़ी लाल मीणा जब एनपीईपी पार्टी की कमान संभाल रहे थे तो उनकी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रही थी.

भाजपा एसटी मोर्चा के अध्यक्ष जितेंद्र मीणा

मुद्दों पर हावी जातिगत समीकरण -राजस्थान की बस्सी विधानसभा जयपुर की नजदीकी विधानसभा होने के बावजूद भी विकास के मामले में अभी पिछड़ी हुई है. बीसलपुर का पानी यहां पहुंचा तो है, लेकिन यहां पर्याप्त विकास नहीं हुआ. कारण साफ है कि बस्सी विधानसभा में निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते हैं तो पार्टियां उनसे दूरी बना लेती है. लेकिन बस्सी विधानसभा ऐसी विधानसभा है, जहां मुद्दों पर जाती हावी है. बस्सी विधानसभा 2008 में अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हुई.

राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा

उससे पहले पूर्व विधायक जगदीश तिवारी यहां से कांग्रेस के दो बार विधायक बने. लेकिन फिर वो कन्हैया लाल मीणा से चुनाव हार गए. 2008 में ये सीट रिजर्व हो गई, जिसके चलते जगदीश तिवारी मैदान से बाहर हो गए. लेकिन ब्राह्मण मतदाता बस्सी सीट पर हार जीत का फैसला करते हैं. दरअसल, बस्सी विधानसभा में मीणा और ब्राह्मण मतदाता संख्या में लगभग बराबर है. ऐसे में ब्राह्मण जिसके साथ जाते हैं. चुनाव में जीत की संभावना भी उसी प्रत्याशी की बढ़ जाती है. अंजू धानका के समाज के वोट नहीं होने के बावजूद उनका दो बार विधायक बनना यह साबित कर चुका है.

Last Updated : Dec 1, 2023, 6:13 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details