जयपुर.अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए रिज़र्व जयपुर की बस्सी विधानसभा सीट राजस्थान की ऐसी विधानसभा बन चुकी है, जहां की पिछले 3 विधानसभा चुनावों से कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो रही है. पिछले चुनाव में भले ही भाजपा प्रत्याशी कन्हैयालाल कहने को दूसरे स्थान पर रहे हो, लेकिन निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ विधायक बने लक्ष्मण मीणा की जीत का अंतर उन्हें मिले वोट से भी अधिक था. वहीं, साल 2008 और साल 2013 में तो भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे और चौथे नंबर पर रहे थे. ऐसे में बस्सी विधानसभा राजस्थान की ऐसी विधानसभा बन चुकी है, जहां दोनों पार्टियां निर्दलीय प्रत्याशियों के सामने संघर्ष करती नजर आती हैं.
पार्टी का टिकट मिले तो जमानत जब्त और निर्दलीय लड़ते ही जीत -बस्सी विधानसभा राजस्थान की एक मात्र विधानसभा है, जिसमें पिछले तीन चुनावों से निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनाव जीत रहे हैं. 2008, 2013 और 2018 तीनों चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी निर्दलीयों से बुरी तरह हार का सामना कर रहे हैं और आश्चर्य की बात तो यह है कि जिन प्रत्याशियों को पार्टी अपना टिकट देती है तो उन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो जाती है. वहीं, जब पार्टी उस प्रत्याशी का टिकट काटकर किसी दूसरे पर दांव लगाती है तो जमानत जब्त करवा चुके नेता को बस्सी की जनता विधायक बना देती है. ऐसे में दोनों ही पार्टियां कंफ्यूज है कि वो बस्सी विधानसभा में क्या रणनीति अपनाएं. इतना ही नहीं बस्सी विधानसभा से नेता भी नहीं चाहते हैं कि वह पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े.
भाजपा में टिकट के दावेदार - लगातार 4 चुनाव जीत लागातार 3 चुनाव हार चुके कन्हैया लाल फिर भाजपा से टिकट मांग रहे हैं. हालांकि, भाजपा के एसटी मोर्चा अध्यक्ष जितेंद्र मीणा ने भी यहां से टिकट की दावेदारी पेश की है तो वहीं रेस में अजय मीणा भी बने हुए हैं. बस्सी विधानसभा से 1990 में पहली बार निर्दलीय के तौर पर विधायक बने कन्हैया लाल मीणा 1993, 1998 और 2003 में लगातार विधायक बने. साथ ही उन्हें जिला मंत्री भी बनाया गया, लेकिन 2008 से बाद अब तक हुए 3 चुनाव में कन्हैया लाल मीणा निर्दलीय और भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर बुरी हार झेल चुके हैं. ऐसे में अब भाजपा बस्सी विधानसभा पर नए चेहरे पर दाव लगा सकती है. जिसमें राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष रहे और वर्तमान में भाजपा एसटी मोर्चा के अध्यक्ष जितेंद्र मीणा का नाम सबसे आगे है और जितेंद्र मीणा ने बस्सी विधानसभा में पसीना बहाना शुरू भी कर दिया है. वहीं अजय मीणा भी टिकट की रेस में बने हुए हैं. हालांकि, बस्सी विधानसभा के पिछले नतीजे देखते हुए ये प्रत्याशी भी इस डर में है कि कहीं पार्टी का टिकट मिलने के बाद जनता इन्हें नकार न दे.
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बस्सी में कांग्रेस का टिकट बना हार की निशानी -भाजपा के हालात तो बस्सी में फिर भी कांग्रेस से खराब नहीं है. ऐसे हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि वो तो पिछले 3 बार से ही बस्सी में चुनाव हार रही है, लेकिन कांग्रेस का रिकॉर्ड तो इस सीट पर इतना खराब है कि साल 1990 से लेकर 2018 तक हुए 7 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई. 2018 में चुनाव जीते लक्ष्मण मीणा को कांग्रेस ने 2013 में टिकट दिया तो वह नंबर 3 पर रहे और जब इस बार उनका कांग्रेस ने टिकट काटा तो वह निर्दलीय के रूप में चुनाव जीत गए.