जयपुर.सरकार की ओर से राजस्थान रोडवेज के बस अड्डों के अधिग्रहण के आदेश (Rajasthan Roadways Bus Stands acquisition) जारी होने से रोडवेज संगठनों में आक्रोश है. राजस्थान रोडवेज कर्मचारियों का कहना है कि रोडवेज को बंद करने की दिशा में सरकार की ओर से कदम उठाया जा रहा है. रोडवेज के साथ धोखा किया जा रहा है. आरोप है कि रोडवेज की बेशकीमती जमीनों पर सरकार की नजर है. रोडवेज बस अड्डे के अधिग्रहण के आदेश के खिलाफ रोडवेज कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी है.
सरकार की नीयत पर शक-रोडवेज फेडरेशन के महामंत्री सत्यनारायण शर्मा के मुताबिक राज्य सरकार बस स्टैंडो के अधिग्रहण से पहले रोडवेज को राज्य सरकार में शामिल करें. फिलहाल ये निगम के अंतर्गत आता है. राज्य सरकार रोडवेज बस स्टैंडो को अधिग्रहण करना चाह रही है. परिवहन आयुक्त की ओर से 23 दिसंबर को आदेश जारी करके मोटर यान अधिनियम 1998 की धारा 117 और राजस्थान मोटर यान अधिनियम 1990 के नियम 5.58 के अंतर्गत बस स्टैंडो को अधिसूचित करने का आदेश जारी किया गया है.
बस स्टैंड तो बहाना है- बस स्टैंड के अधिग्रहण करने के निर्देश जारी करके सभी जिला कलेक्टर और जिला परिवहन अधिकारी को निर्देशित किया गया है. इस आदेश से रोडवेज कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है. रोडवेज कर्मचारी सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है. राजस्थान रोडवेज फेडरेशन के प्रदेश महामंत्री सत्यनारायण शर्मा के मुताबिक सरकार की नजर राजस्थान रोडवेज की बेशकीमती जमीन पर है. बेशकीमती जमीनों को खुर्द बुर्द करके सरकार अपना फायदा देख रही है.
मांग पर अड़े कर्मचारी- रोडवेज कर्मचारी सरकार से मांग करते हैं कि आदेश को वापस लिया जाए. आवश्यकता पड़ी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. सरकार ने जो घोषणा की थी कि रोडवेज कर्मचारियों की सभी समस्याओं का समाधान करेंगे, यह सिर्फ घोषणा कागजों तक ही सीमित रह गई है. धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है. रोडवेज कर्मचारियों को 2 माह के अंतराल में वेतन मिल रहा है. नए वाहनों की खरीदारी की अनुमति नहीं दी जा रही है. जबकि मार्च 2023 के बाद रोडवेज के पास मात्र 1500 वाहनों का बेड़ा बचेगा.