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गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफे स्पीकर के पास...40 दिन बाद भी प्रेशर पॉलिटिक्स बरकरार

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Published : Nov 5, 2022, 5:29 PM IST

सितंबर के महीने में राजस्थान में उठे सियासी तूफान को 40 दिन गुजर (No decision on mla resignation) चुके हैं, लेकिन अब तक गहलोत समर्थक कोई विधायक अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए स्पीकर सीपी जोशी के पास नहीं पहुंचा है. सियासी गलियारों में गहलोत समर्थक विधायकों की ओर से इस्तीफे पर मौन धारण करना प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा माना जा रहा है.

विधायकों के इस्तीफे स्पीकर के पास
विधायकों के इस्तीफे स्पीकर के पास

जयपुर. कांग्रेस आलाकमान की ओर से 25 सितंबर को बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत समर्थक विधायकों ने विरोध करते हुए अपने इस्तीफे स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिए. इस घटनाक्रम के बाद से लगातार गहलोत समर्थक विधायक आलाकमान में निष्ठा की बात कह रहे हैं. लेकिन 40 दिन गुजरने के बाद भी कांग्रेस आलाकमान (40 days passes after Mlas resignation) के फैसले के खिलाफ दिए गए इस्तीफे को वापस लेने के लिए एक भी विधायक सीपी जोशी के पास नहीं पहुंचा है.

यही नहीं इस मामले में भाजपा की ओर से सवाल उठाने और स्पीकर सीपी जोशी से मिलकर इस्तीफों पर अंतिम फैसला लेने की अपील के बाद भी अब तक इस्तीफों का निस्तारण नहीं हो (No decision on mla resignation) सका है. जानकारों की मानें तो राजस्थान कांग्रेस में राजनीतिक हालात अभी भले ही शांत दिखाई दे रहे हों, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक अब भी इस आशंका में हैं कि कहीं ऐसा ना हो कि कांग्रेस आलाकमान कोई बड़ा निर्णय सुना दे.

विधायकों के इस्तीफे स्पीकर के पास

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यही कारण है कि 25 सितंबर की घटना के 40 दिन गुजरने के बाद भी इस्तीफा देने वाले विधायकों में से एक भी विधायक स्पीकर सीपी जोशी के पास पहुंचकर अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है. ऐसे में साफ है की प्रदेश में अभी इस्तीफों के जरिए कांग्रेस आलाकमान पर दबाव की राजनीति जारी है, जिसके आगे भी ऐसे ही बने रहने की संभावना है.

छत्तीसगढ़ के सीएम पहुंचे हिमाचल, गहलोत का दौरा हुआ रद्दः राजस्थान की कांग्रेस सरकार की योजनाओं की तारीफ राहुल गांधी कर रहे हैं. साथ ही हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव में छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारों की ओर से किए गए कामों को जगह दी जा रही है. लेकिन नेताओं को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है. जहां हिमाचल प्रदेश के चुनावी घोषणा पत्र जारी करने के समय हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पर्यवेक्षक और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली में मौजूद रहे. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली नहीं गए. बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के चलते उनका दिल्ली दौरा रद्द रहा.

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गहलोत गुट के मंत्री इस्तीफों पर मौनः गहलोत समर्थक मंत्री महेश जोशी और मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास का 25 सितंबर का रुख हर किसी के सामने था. इसके लिए महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ को पार्टी ने अनुशासनहीनता के चलते कारण बताओ नोटिस भी जारी किया. लेकिन गहलोत समर्थक मंत्री अपने मुद्दों को लेकर आपस में तो एक दूसरे पर छींटाकशी कर रहे हैं, लेकिन इस्तीफों की बात आते ही मौन धारण कर लेते हैं. वे स्पीकर सीपी जोशी से इस्तीफों के बारे में पूछने की बात कहते नजर आते हैं या फिर बात को घुमा देते हैं. गहलोत समर्थक विधायकों की ओर से अब तक इस्तीफे वापस नहीं लेने को प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा माना जा रहा है.

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