जयपुर.कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की नई टीम का ऐलान कर दिया है, जिसमें राजस्थान से पार्टी नेता सचिन पायलट को शामिल किया गया है. इस टीम में प्रदेश से पायलट के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह और महेंद्रजीत सिंह मालवीय को भी जगह मिली है. इन सब के बीच सबसे खास बात यह है कि पार्टी ने करीब साढ़े तीन साल के लंबे इंतजार के बाद पायलट पर फिर से भरोसा जताया है और उन्हें वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया है. ऐसे में अब आगामी विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत के साथ ही सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार की रेस में शामिल बताए जाने लगे हैं.
असल में जुलाई 2020 में पायलट को उनके बगावती रुख के चलते उपमुख्यमंत्री पद के साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी गंवाना पड़ा था, लेकिन अब साढ़े तीन साल बाद उन्हें फिर से पार्टी ने राष्ट्रीय संगठन में जगह दी है. पायलट के साथ ही इस कमेटी में राजस्थान से पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह और मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय को भी जगह मिली है और इन दोनों नेताओं को भी सीडब्ल्यूसी में सदस्य बनाया गया है. वहीं, इन तीनों नेताओं के साथ ही परमानेंट इनवाइटी के तौर पर मोहन प्रकाश और पंजाब के इंचार्ज हरीश चौधरी को भी वर्किंग कमेटी में जगह मिली.
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पायलट हुए मजबूत -सचिन पायलट को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया जाना अपने आप में यह संकेत है कि पायलट अब पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते नजर आएंगे. वहीं, वो राजस्थान चुनाव से जुड़ी ज्यादातर कमेटियों में भी शामिल हैं. ऐसे में वो आगामी विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में भी उनका दखल बढ़ेगा. राजनीति के जानकारों का मानना है कि वर्किंग कमेटी में शामिल करने का मतलब साफ है कि जो भी आरोप सचिन पायलट पर साल 2020 में लगे थे, उन आरोपों को पार्टी ने खारिज कर दिया है.
वर्किंग कमेटी की सदस्यों की सूची में नहीं है सीएम गहलोत का नाम -घोषित कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सूची में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम शामिल नहीं है. इसके अलावा इस सूची से छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को भी बाहर रखा गया है. वैसे तो इस सूची में राजस्थान कांग्रेस के चार नेताओं के साथ ही अभिषेक मनु सिंघवी का भी नाम शामिल है, क्योंकि अभिषेक मनु सिंघवी राजस्थान के जोधपुर जिले से आते हैं. ऐसे में उन्हें भी राजस्थान का ही माना जाता है, लेकिन सिंघवी पूरी तरह दिल्ली की राजनीति करते हैं.