जयपुर. 25 सितंबर को कांग्रेस आलाकमान की ओर से बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक (Congress Legislature Meeting) के बहिष्कार के लिए कांग्रेस पार्टी ने मुख्य सचेतक महेश जोशी, संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल और आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को जिम्मेदार माना था. इसे लेकर कांग्रेस आलाकमान ने तीनों नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 10 दिन का समय दिया था. 10 दिन का समय आज पूरा होने जा रहा है, लेकिन कारण बताओ नोटिस के जवाब को लेकर संशय की स्थिति बन गई है.
इसका कारण है मुख्य सचेतक महेश जोशी का यह कहना कि उन्हें तो अब तक नोटिस ही नहीं मिला है और जब उन्हें नोटिस नहीं मिला है तो वह जवाब किसका दें. हालांकि कहा जा रहा है कि मंत्री शांति धारीवाल को नोटिस मिल गया था और उन्होंने इसका जवाब भी भेज दिया, तो तीसरे नेता धर्मेंद्र राठौड़ का भी यही हाल है कि उन्हें नोटिस मिला है या नहीं इसकी कोई जानकारी नहीं है.
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बता दें कि जयपुर में 25 सितंबर को बुलाई गई विधायक दल की बैठक से पहले गहलोत समर्थक विधायकों को मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने फोन कर बुलाया था. शांति धारीवाल के निवास पर ही गहलोत समर्थक विधायकों ने यह तय किया था कि वह कांग्रेस आलाकमान की ओर से एक लाइन का प्रस्ताव ले जाने के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करेंगे. साथ ही इस प्रस्ताव के विरोध में अपना इस्तीफा भी स्पीकर को दे देंगे और हुआ भी यही.
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लेकिन आलाकमान ने इस नाफरमानी को बड़ी अनुशासनहीनता माना और बैठक बुलाने के लिए फोन करने पर मुख्य सचेतक महेश जोशी, जिनके निवास पर बैठक बुलाई गई उन संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल और जिन्होंने संसाधन उपलब्ध करवाए उन आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किए. यह नोटिस तुरंत प्रभाव से ही मीडिया में भी सामने आ गए, लेकिन अब महेश जोशी का यह कहना कि उन्होंने मीडिया में चलती हुई कारण बताओ नोटिस की बातें तो पता चली है लेकिन उन्हें व्यक्तिगत रूप से, मेल या डाक के जरिए कोई कारण बताओ नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है. ऐसे में यह साफ है कि महेश जोशी ने उसका जवाब भी नहीं भेजा है.
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