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फार्मासिस्ट भर्ती की मेरिट लिस्ट जारी करने पर राजस्थान हाईकोर्ट की अंतरिम रोक

फार्मासिस्ट भर्ती 2023 की मेरिट लिस्ट जारी करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से इस संबंध में रूख स्पष्ट करने का आदेश दिया है.

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Published : Jul 10, 2023, 8:49 PM IST

Rajasthan Pharmacist Recruitment 2023, HC stays on releasing merit list
फार्मासिस्ट भर्ती की मेरिट लिस्ट जारी करने पर राजस्थान हाईकोर्ट की अंतरिम रोक

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अकेडमिक अंकों के आधार पर 3000 पदों के लिए हो रही फार्मासिस्ट भर्ती 2023 की मेरिट लिस्ट जारी करने पर 20 जुलाई तक अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को इस संबंध में राज्य सरकार को रुख स्पष्ट करने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश भंवर कुमार व राजकुमार सहित अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता विज्ञान शाह और अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने फार्मासिस्ट भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए. इस भर्ती में राज्य सरकार अकेडमिक अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार कर नियुक्ति देने जा रही है, जबकि इससे पहले लिखित परीक्षा के अंकों के आधार पर चयन किया जाता था. याचिका में कहा गया कि भर्ती में अलग-अलग राज्यों और अलग-अलग विश्वविद्यालयों के अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है.

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हर राज्य व विश्वविद्यालय का अपना अलग सिलेबस है और उसके अनुसार अंकों का निर्धारण किया जाता है. इसके चलते भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के ज्यादा अंक होने के आधार पर उन्हें नियुक्ति का लाभ मिलेगा. इसलिए भर्ती अकेडमिक अंकों के बजाए लिखित परीक्षा आयोजित कर कराई जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा ने कहा कि अकेडमिक अंकों के आधार पर भर्ती कराने को लेकर परीक्षण किया जा रहा है. इस पर अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता की अंडरटेकिंग के बाद आगामी सुनवाई तक मेरिट लिस्ट जारी नहीं करने को कहा है.

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सेवानिवृत्ति परिलाभ नहीं देने पर नाराजगी:राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज से सेवानिवृत्त परिचालक को अदालती आदेश के बावजूद 5 साल में भी सेवानिवृत्ति परिलाभ नहीं देने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 13 जुलाई को रोडवेज के सीएमडी को हाजिर होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने सीएमडी को कहा है कि वे शपथ पत्र पेश कर बताएं कि अब तक आदेश की पालना क्यों नहीं हुई. अदालत ने कहा है कि इस दौरान यदि आदेश की पालना हो जाती है, तो अधिकारी को पेश होने की जरुरत नहीं है. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश साहेब सिंह की अवमानना याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 18 दिसंबर, 2017 को रोडवेज में कंडक्टर पद से सेवानिवृत्त हुआ था. इस पर रोडवेज ने उसे सिर्फ ग्रेच्युटी राशि ही दी और आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए अन्य सेवानिवृत्त परिलाभ नहीं दिए. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में याचिका दायर कर चुनौती दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 5 मई, 2019 को रोडवेज को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता को 1 साल में सभी सेवानिवृत्त परिलाभ अदा करे. इसके बावजूद भी रोडवेज की ओर से अब तक आदेश की पालना नहीं की गई. याचिकाकर्ता का कहना है कि अदालती आदेश की पालना नहीं करने वाले दोषी अधिकारियों को जेल भेजा जाए और उसे समस्त परिलाभ दिलाए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आदेश की पालना नहीं होने पर 13 जुलाई को रोडवेज सीएमडी को हाजिर होने के आदेश दिए हैं.

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