जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में तय किया है कि एससी, एसटी एक्ट के तहत दुष्कर्म पीड़िता को दी जाने वाली हर्जाना राशि को इस आधार पर नहीं रोक सकते कि मेडिकल जांच में उसकी पुष्टि नहीं हुई है. प्रकरण में आरोप पत्र पेश होने के बाद निचली अदालत आरोप भी तय कर चुकी है. इसके साथ ही अदालत ने सामाजिक न्याय विभाग की हर्जाना राशि देने से इनकार करने वाले 15 अप्रैल 2021 के आदेश को रद्द करते हुए पीड़िता को क्षतिपूर्ति राशि दो माह में अदा करने को कहा है.
जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विधायिका ने यह कानून ऐसे गंभीर अपराध के पीड़ितों को आर्थिक रूप से राहत देने के लिए बनाया है. याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के नाबालिग रहने के दौरान वर्ष 2017 में उसके साथ दुष्कर्म हुआ था. घटना को लेकर उसके चाचा ने रेनवाल थाने में दुष्कर्म और एससी,एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी. प्रकरण में पुलिस ने आरोप पत्र भी पेश कर दिया है और निचली अदालत ने उस पर आरोप तय भी कर दिए हैं.