जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव, निदेशक और एसडीओ बांसवाड़ा से पूछा है कि शिक्षक की सहमति के बिना उसे बीएलओ नियुक्त क्यों किया गया. जब उसने व्यक्तिगत कारणों से काम नहीं किया तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई क्यों की गई?. इसके साथ ही अदालत ने शिक्षक के खिलाफ की गई दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश लोकेश चंद पंड्या की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता शारीरिक शिक्षक के तौर पर शिक्षा विभाग में कार्यरत है. निर्वाचन विभाग ने गत 8 अगस्त को आदेश जारी कर उसे बूथ लेवल अधिकारी नियुक्त कर दिया. जबकि इसके लिए याचिकाकर्ता शिक्षक से निर्वाचन विभाग ने सहमति नहीं ली. वहीं जब उसने व्यक्तिगत कारणों के चलते बीएलओ पद के कर्तव्यों की पालना नहीं की तो उसके खिलाफ 17 सीसीए के तहत कार्रवाई करते हुए एक वार्षिक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोक दी. साथ ही इसका उल्लेख उसकी सर्विस बुक में भी लाल स्याही से कर दिया गया.