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वर्ष 2009 से पहले की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताएं तीन लाख रुपए मुआवजे की हकदार- राजस्थान हाईकोर्ट - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

Rajasthan High Court राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि वर्ष 2009 से पहले की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताएं तीन लाख रुपए मुआवजे की हकदार हैं.

Rajasthan High Court,  Minor rape victims
राजस्थान हाईकोर्ट.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 3, 2024, 9:04 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को उचित मुआवजा नहीं मिलने के करीब दो दशक पुराने मामले को तय किया है. अदालत ने कहा है कि वर्ष 2009 में सीआरपीसी की धारा 357 के संशोधन से पहले की भी सभी नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताएं तीन लाख रुपए पाने की हकदार हैं. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश पीड़िता के पिता की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यह आदेश सिर्फ उन मामलों में ही लागू होगा, जिनमें धारा 357 में संशोधन से पहले की सक्षम अधिकारी के समक्ष मुआवजे के लिए क्लेम पेश किया हो और मुआवजे से जुड़ा कोई केस लंबित हो.

अदालत ने मुख्य सचिव और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को कहा है कि वह प्रकरण में उचित कार्रवाई करें. अदालत ने कहा कि नाबालिग पीड़िता के साथ किया गया दुष्कर्म न सिर्फ उसे दी गई शारीरिक यातना है, बल्कि यह अपराध उसे मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित करता है.

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यह बताया याचिका मेंः वर्ष 2006 में पेश इस याचिका में अधिवक्ता नयना सराफ ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की दो साल की बेटी के साथ 19 जुलाई 2004 को दुष्कर्म हुआ था. जिसकी रिपोर्ट सोडाला थाने में दर्ज कराई थी. वहीं पुलिस की ओर से अभियुक्त को गिरफ्तार करने के बाद अदालत में आरोप पत्र पेश किया. जिस पर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 31 मई 2005 को अभियुक्त को दस साल की सजा और पांच सौ रुपए का जुर्माना की सजा दी, लेकिन पीड़िता को मुआवजे के लिए आदेश नहीं दिया. इस पर याचिकाकर्ता ने जिला कलेक्टर के समक्ष तीन लाख रुपए का मुआवजे के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. पीड़िता को मुख्यमंत्री राहत कोष से सिर्फ दस हजार रुपए दिए गए. मामला लंबित रहने के दौरान सीआरपीसी में संशोधन हुआ और पीड़िता प्रतिकर स्कीम, 2011 लागू हुई. जिसमें नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को तीन लाख रुपए देने का प्रावधान किया गया. इस पर याचिकाकर्ता ने इस स्कीम के तहत मुआवजा दिलाने की गुहार की.

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