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Rajasthan High Court : जिंदा बम प्रकरण में आरोपी सरवर को मिली जमानत - Rajasthan Hindi news

साल 2008 में हुए जयपुर सीरियल ब्लास्ट के बाद जिंदा बम मिलने के मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी को राजस्थान हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 9, 2023, 8:18 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2008 में शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकोंके बाद चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर जिंदा मिले बम के मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. अदालत मामले में 25 फरवरी, 2021 को एक अन्य आरोपी शाहबाज हुसैन को भी जमानत पर रिहा करने के आदेश दे चुकी है.

सह आरोपी को पूर्व में मिल चुकी है जमानत :जमानत याचिका में अधिवक्ता सैयद सआदत अली ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट ने बम धमाकों के मामले में दोषमुक्त कर दिया था. वहीं, निचली अदालत के फैसले के करीब 8 माह बाद एटीएस ने जिंदा मिले बम को लेकर अलग से आरोप पत्र पेश किया. याचिकाकर्ता वर्ष 2009 से ही जेल में बंद है, जांच एजेंसी उसे जानबूझकर जेल में रखना चाहती है. शहर में जगह-जगह हुए बम धमाकों और जिंदा मिले बम को लेकर अभियोजन के अधिकतर गवाह और दस्तावेज समान हैं. इसके अलावा प्रकरण में सह आरोपी को हाईकोर्ट पूर्व में जमानत दे चुकी है, इसलिए उसे प्रकरण में जमानत दी जाए.

पढ़ें. Rajasthan : जयपुर जिंदा बम मामले में आरोपियों को दोषमुक्त करने से कोर्ट का इनकार

आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती :इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिक्ता राजेश महर्षि ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अभियोजन पक्ष के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं. वहीं विशेष अदालत में प्रकरण को लेकर ट्रायल चल रही है, इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

ये है मामला : बता दें कि 13 मई, 2008 को शहर में सिलसिलेवार धमाके हुए थे. वहीं, चांदपोल हनुमान मंदिर के पास एक बम जिंदा मिला था. पुलिस ने मामले में मोहम्मद सरवर आजमी, सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, शाहबाज हुसैन और सलमान को गिरफ्तार किया था. विशेष अदालत ने शाहबाज को बरी करते हुए शेष आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ पेश अपील पर हाईकोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया था. विशेष अदालत के आदेश के बाद एटीएस ने जिंदा बम प्रकरण में इन आरोपियों के खिलाफ अलग से आरोप पत्र पेश किया था.

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